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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabalirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie आ सूत्रनो अनंतरादि संबंध पूर्वमाफक जाणवो, जे में भगवानना मुख कमळमाथी नीकळेली वाणी सांभळीने अवधारण आचा० - करी राखेली छे अने तेनाथी जेवीरीते तत्त्व प्राप्त करेल छे; ते कहुं हुं. द्वीन्द्रियादि प्रसजीबो पाणी छे, अने ते केटला प्रकारना सूत्रम् छे, तेना भेदो बतावे छे. ते आ प्रमाणे, 'तनहा' शब्द वाक्यना उपन्यासने पाटे छे. अथवा जे भगवानना मुखमाथी नीकळ्यु छे, ॥१९१॥ तेज हुँ कहुं छ, ते बताचवा माटे छे. इंडमांथी जे उत्पन्न थाय ते अंडज पक्षीओ तथा घरोळी अंडज छे, जे 'पोत' तेज जन्मे ते CI॥१९॥ पोतज. हाथी जळो विगेरे पोतज छे. अने जरायुधी पिटायला जे थाय, ते जरायुज, गाय भेस बकरां माणसो विगेरे जरायुज छे. ओसामण, कांजी दुध, छाश, दहि, विगेरेमो रसथी जे उत्पन्न थाय ते रसज, येलो विगेरे अत्यंत माना जीवो रसज , परसेवायो उत्पन्न थाय ते संस्वेदज छे, माकण जु शतपदिका विगेरे स्वेदन छे, संमूर्खनज ते पतंगीआ, कीडीओ, माखीभो विगेरे, संमूर्छनथी | । उत्पन्न धाय ते संमूर्छन छे. उद्भेदी उत्पन्न थाष ते उद्भेदन कहेवाय, पतंगीया खंजरी पारीप्लव विगेरे उभीज कहेवाय के उपपातथी उत्पन्न थाय ते औपपातिक नारक देव विगेरे औषपातिक छे. ए प्रमाणे जेनो जेबो संभव होय तेवो आठ प्रकारमा संसारी जीवनो जन्म चाय छे तेज वात वीजा शास्त्रमा त्रण प्रकारे कहे छे के 'संमूर्छन गोपपाता जन्म' (तत्वार्थ, अ, २ सू. ३२) । ___ रस स्वेद उद्भिजनो संमूर्छनमा समावेश थाय छे. अने अंडज पोतज अने जरायुजनो गर्भजमा समावेश थइ जाय छे अने, IN देव नारकीयनो औषपातिकमा समावेश थइ जाय छे. तेटलामाटे स्वार्थसूत्रकारे टुकामां वणज मकारनो जन्म एम कहेलुं छे For Private and Personal Use Only
SR No.020008
Book TitleAcharanga Stram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1932
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size5 MB
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