SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आचा० ॥१६७॥ www.kobatirth.org ner ( माप) अथवा कुडव विगेरेना माथी फोड़ बधा धान्यने मापे, अने बीजी जगाए नाखे ए प्रमाणे कोई साधारण वनस्पतिना जीवोने लोक रुप कुडवे करीने मापे बीजे नाखे तो मापतां अनंता लोको मराइ जाय हवे बादर निगोदनु परिमाण बतावे छे. जे बायरपज्जता पयरस्स असंखभागमित्ता ते । सेसा असंखलोया, तिन्निवि साहारणाणता ॥ १४५ ॥ | जे पर्याप्ता वादर निगोद छे, ते संवर्तित चोखडा करेला बधा लोकना मतरना असंख्येय भागवर्ति प्रदेश राशी परिमाण जाणवा; बळी ते मत्येक शरीर बादर वनस्पति पर्याप्ता जीवोथी असंख्यात गुणा छे. बाकीनी त्रणे राशी प्रत्येक असंख्येय लोक आकाश | प्रदेश परिमाणवाळा छे, हवे ते ऋण राशी बतावे छे ? अपर्याप्ता बादर निगद २ अपर्याप्ता सूक्ष्म निगोदर पर्याप्ता सूक्ष्म निगोद एत्रणे क्रमथी संख्यामां बहुतर (एक एकथी अधिक) जाणवा, पण साधारण जीवो संख्यामां तेनाथी अनंत गुणा छे. आ, जीवनुं परिमाण छे; पण पूर्वे चार राशी कही ते जीवनुं नहीं पण निगोदनुं परिमाण जाणवुः हवे परिमाणद्वार कथा पछी उपभोगद्वार कहे छे. आहरे उवगरणे, सयणासण जाण जुग्गाकरणे य। आवरण पहरणेसु अ सत्यविहाणेसु अ बहुसुं ॥ १४६ ॥ फळ, पान, कुंपळ, मूळ, कंद, छाल, विगेरे खवाय छे अने, पंखो, कडां (चुडीओ) कवलक अर्गल विगेरे उपकरणो बने छे तथा खाटलो पाटीयुं सुवा माटे छे. तथा आसंदक (मांची) छे तथा पालखी विगेरे यान छे; तथा गाडीना धुसरा, पाटीभानां rine अने लाकडी सी (धोको,) विगेरे हथीयार छे; तथा तेनां घर्णा प्रकारनां शस्त्रो छे; तेना शर, दातरडा, तलवार, छरी, For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रम ॥१६७॥
SR No.020008
Book TitleAcharanga Stram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1932
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy