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सूत्रम
॥१५९॥
रुक्खा गुच्छा गुम्मा, लया य, वल्ली य पबगा चेव । तणवलयहरियओसहिजलरुहकुहणा य बोद्धवा ॥ आचा०
छेदाय ते वृक्षो, ते चे प्रकारना , एक अस्थिक, (एक ठळीयावाळा) तथा बहु चीनवाळां छे, तेमां लीमदो, आंबो, कोशंच, ४) ॥१५९॥
साल (साग), अंकोल पीलु, शल्की विगेरे एक बीजवानां छे, अने उमरो कोठं अस्तिक ( अगथीओ) टीमरु वीलु, आमळां, फणस दाइम बोनो विगेरे अनेक बीजवाला छे, रींगणां (वेंगण), कपास, जपो (जामुद्दी)पादकी (तुवेर), तुलसी, कुसुंभरी, पीपळी, नीकी (गळी) विगेरे गुच्छावाला छे. नवमालिका, सेरियक, कोरंटक बंधुनीवक; बाण, करवीर (केरा), सिंदुवार, विकिल जाति (जाइ) युधिक विगेरे गुल्म छे, अने पमनाग अशोक, चंपो, आंचो, वासंति, अति मुक्तक कुंदलता विगेरे, लताओं छे. कोळानो वेलो,
काळगडानो वेलो, तृपुषी (काकडीना वेला), तुंबी, वालोळ, एलालुकी. तथा पटोळी (पंडोळानो वेलो) विगेरे वेलडीओ छे. तथा ४ शेरडी, वाळो सुंठ, शर, बेत्र शतावरी वांस नळ वेणुक विगेरे पर्वग कहेवाय छे. अने पतिका (घोळीदरो) कुश, दर्भ, पका, अर्जुन | IM सुरभि, कुरुविंद विगेरे घास कहेराय छे. तथा ताड तमाल, तकली शाल सरला केतकी-केळ, कंदळी, विगेरे चलय कहेवाय,
नांदळजो धुया रुह वस्तुल बदरक, मार्जार, पादिका चिल्लिपालकी विगेरेने हरित (भाजीओ) कहे छे, अने शाली (भात), बीही (डांगेर.) घर, जब कलम, मसूर, तल, मग, अडद, चोळा, कुलथी, अळसी, कुमुंभ, कोदरा, कांग, विगेरे, औषधि कहेवाय छे उदकावक पनक शेवाळ कलंमयुका, पावक, कशेरुक (कसेरु) उत्पल (लाल कमळ) पद, कुमुद (पोयणी), नलीन, पुंडरीक विगेरे । जलरुह कहेबाय छे. अने भूमिस्फोट नामना, आय ' काय, कुहुण उंडक,उदेहलीक, शलाका, सर्प छत्र विगेरे कुहुण कहेवाय छे.
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