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समर्पया
शास्त्रविशारद पं. प्रवर मुनिश्री किशनलालजी म.
की पवित्र सेवा में
पूज्य गुरुदेव !
थापने मुझे बचपन से ही अपने चरण-कमलों में आश्रय दिया और अपने असीम अनुग्रह से मुझे साहित्य और समाज की यत्किञ्चित सेवा बजा सकने का सामर्थ्य प्रदान किया | आपके उपकारों से में उऋण नहीं हो सकता हूँ। तदपि "पत्रं पुष्पं फलं तोयं " की उक्ति के अनुसार यह प्रकिशन गुरुदक्षिणा श्रद्धापूर्वक आपके कर कमलों में सादर समर्पित करता हूँ ।
- " सौभाग्य मुनि ”
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