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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८६० ४. शोणांशीय अवस्थाएँ २. (ख) सदैव उपस्थित अवस्थाएँ विषमज्वर 1 ( क ) तीव्रावस्थाएँ < कालजलज्वर १. परमकायाविक रक्तक्षय ऋजुकायाण्विक रक्तक्षय www.kobatirth.org ३. साधारण सूक्ष्मकायाण्विक रक्तक्षय विकृतिविज्ञान विट्रो निर्दिष्ट रक्तक्षयिक श्रेणी विभाजन [ घातक रक्तक्षय अमज्जकीय रक्तक्षय ४. सूक्ष्मकायाश्विक उपवर्णिक रक्तक्षय रोगाणुरक्तता अपित्तमेहिक कामला कूलीयरक्तक्षय फानयक्षरक्तक्षय सीसविषता ग्रहणी श्लिषशोफ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कृमि सगर्भता का घातक रक्तक्षय अनभिघट्यरक्तक्षय तीव्र अनुरक्तस्रावीय विषमज्वर जीर्ण उपसर्ग मारात्मक रोग रङ्ग देशना - १.० परमकोशता परमवर्णता रङ्गदेशना - For Private and Personal Use Only -०.९ ऋजुकोशता ऋजुवर्णता रङ्गदेशना- -०.९ सूक्ष्मको शता ऋजुवर्णता साधारण अनीरोदीय रक्तक्षय रङ्गदेशना ०.९ केनीचे ब्लूमर - विन्सनीय सहलक्षण जीर्ण अनुरक्तस्रावीय हरिदुर्ष शैशवीय पोषणिक रक्तक्षय अंकुश मुखकम्युत्कर्ष सूक्ष्मकोशता उपवर्णता अब हम आधुनिक दृष्टि से उपस्थित किए गये रक्तक्षयों का यथासम्भव नातिविस्तृत वर्णन उपस्थित करते हैं । यह वर्णन उपरोक्त वर्गीकरण का पूर्णतः अनुकरण न करके व्यावहारिक दृष्टि का विचार सामने रख कर प्रस्तुत किया जा रहा है । ( १ ) आहारीय अयोगजन्य रक्तक्षय ( Nutritional Activity ) ( क ) वे रक्तक्षय जिनमें रक्तोत्पादक तत्व का अभाव रहता है ।
SR No.020004
Book TitleAbhinav Vikruti Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuveerprasad Trivedi
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1957
Total Pages1206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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