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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सङ्गति-६२५, उन्मत्तस्य सर्वाङ्गवात - प्रत्यावर्तीज्वर - ६३६, गलशोफ - ६३७, पदिक सुकुन्तलाण्विक कामला - ६३८ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ४ ] या सर्वाङ्गघात - ६३२, न्युपदंश या परङ्ग - ६३८, कुन्तला त्कर्ष - ६३६, वीलरोग या जान दशम अध्याय अन्य विशिष्ट कणार्बुदिक व्याधियाँ ६३६ - ६५६ [ Other specific granulomatous diseases ] aratर्बुद - ६३९, महाकुष्ठ - ६३९, कवक रोग - ६४६, अश्वग्रन्थि - ६५४, नासावृद्धि - ६५५, लसकणार्बुद - ६५६, बाह्यद्रव्यकणार्बुद - ६५७, कालस्फोट - ६५८ । नासाबीजात्कर्ष - ६५८, For Private and Personal Use Only एकादश अध्याय अर्बुद प्रकरण [ Tumours ] ६६०-८६२ अधिच्छदीय अर्बुद की परिभाषा - ६६०, वि - विभिन्नन - ६६३, अर्बुदीय रचना - ६६४, प्रतीपगामी परिवर्तन - ६६६, अर्बुदीय विस्तार - ६६७, अर्बुद के नैदानिक प्रकार - ६७१, दुष्ट तथा साधारण अर्बुदों में अन्दर - ६७३, अर्बुद - दौष्टय की अंशांश कल्पना - ६७६, अर्बुद प्रभाव - ६७७, कर्कटोत्पत्ति - ६७९, प्रायोगिक कर्कटगवेषणा - ६८२, कुलजप्रवृत्ति - ६९१, अनुषता तथा प्रतीकारिता - ६९२, अर्बुदों का प्रविकिरण - ६९८, अर्बुदहषता - ७०१, उपसर्ग - - ७०३, अर्बुद का वर्गीकरण - ७०४, आयुर्वेद में अर्बुद - ७०५, ऊति के अर्बुद - ७०६, कर्कट या कर्कटार्बुद - ७ द- ७०७, कर्कट के प्रकार - ७०९, कर्कट का विस्तार - ७१३, कोशीय दृष्टि से कर्कट विचार - ७१४, स्तब्धकोशीय कर्कट - ७१८, गोलाभकोशीय कर्कट - ७१९, श्लेषाभ कर्कट - ७२०, श्वसनसंस्थान के कर्कट - ७२१, महास्रोतीय कर्कट - ७२९, याकृत कर्कट - ७४१, अवटुकाप्रन्थीय कर्कट - ७४५, पोषणिका प्रन्थिकर्कट - ७४७, अधिवृक्क ग्रन्थिकर्कट - ७४८, मूत्रसंस्थान के कर्कट - ७५१, पुरुष प्रजननाङ्गीय कर्कट - ७५४, स्त्रीप्रजननाङ्गीय कर्कट - ७५९, स्तन कर्कट - ७६४, अधिच्छदीय ऊति के साधारण अर्बुद - ७७४, चर्मकील या अङ्कुरार्बुद - ७७४, ग्रन्थ्यर्बुद - ७८३, अधिच्छदीय ऊति के अन्य अर्बुद - ७९७, अतिवृक्कार्बुद - ७९७, जराय्वधिच्छदार्बुद - ७ दन्ताकाचार्बुद६-८००, संयोजी ऊति के अर्बुद - -८०१, सङ्कटार्बुद - ८०१, अस्थि का संकटार्बुद - ८०८, फुफ्फुससङ्कट - ८१३, लसाभ ऊति या जालकान्तश्छदीय संस्थान सङ्कट-८१४, महास्रोतीय सङ्कटार्बुद - ८१८, अन्य औदरिक सङ्कटार्बुद - ८१९, प्रजननसंस्थानीय सङ्कटार्बुद - ८१९, पृष्ठमेर्वर्बुद - ८२४, तन्त्वर्बुद - ८२५, बार्बुद - ८३४, श्लेष्मार्बुद - ८३६, कास्थ्यर्बुद - ८३८, अस्थ्यर्बुद - ८४१, पेशी ऊति के - ७९८, मूत्रविमे
SR No.020004
Book TitleAbhinav Vikruti Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuveerprasad Trivedi
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1957
Total Pages1206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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