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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पञ्चम अध्याय रक्तपरिवहन की विकृतियाँ (Pathological Disorders of Blood Circulation ) विशोणता (Ischaemia) शरीर के किसी अंग के किसी भाग में रक्त की स्थानिक कमी को विशोणता ( ischaemia) कहा जाता है। यह पूर्णतः, अपूर्ण ( incomplete ), शीघ्र ( quick ) या शनैः शनैः (gradually ) होती हुई देखी जाती है। पूर्ण विशोणता निम्न कारणों से होती है अ-धमनी को बाँध देने ( ligature of the artery of the part supplying ) से या गलती से शस्त्रकर्म करते समय धमनी के बंध जाने से। ____ आ-धमनी-विवर का आतचि ( clot ) द्वारा अवरोध हो जाना जिसके कारण यदि और कहीं से रक्त की प्राप्ति न होने पावे तो धमनी से अभिसिञ्चित प्रदेश रक्तहीन हो जाता है। अपूर्ण विशोणता निम्न कारण से होती है :__ अ-तत्तत् अंग को रक्ताभिसिञ्चन करने वाली धमनी वा धमनिका के मुख का सङ्कुचित हो जाना वा बन्द होते चले जाना। शनैः शनैः विशोणता निम्न कारणों से देखी जाती है :१. धमनी प्राचीर के रोग जैसे धमनीजारव्य ( athero-sclerosis)। २. धमनी पर बाहर से किसी अर्बुद या सञ्चित जल वा द्रव का पीडन । ३. धमनी के समीप की धातु में उत्पन्न व्रण की व्रणवस्तु का संकोच होना । शीघ्र विशोणता निम्न कारणों से देखी जाती है: १. रेनो के रोग ( Raynaud's disease ) में लगातार बहुत समय से आक्षेप ( spasm ) होने से वाहिनी प्रेरक विक्षोभ (vasomotor irritability ) से । २. शीत के प्रभाव से धमनी प्राचीर का अकस्मात् ठिठुर जाना। ३. अर्गट-विषता (ergot-poisoning) वास्तव में देखा जावे तो किसी अंग वा स्थान में विशोणता का परिणाम वहाँ की जालक्रिया (anastomosis) पर निर्भर करता है। यदि वह पर्याप्त है तो कोई हानि नहीं होती परन्तु अन्य अवस्थाओं में विशोणता वहाँ की अति विशेष की विशिष्ट कोशाओं को नष्ट कर देती है। धमनी का तुरत अवरोध होने से कोशाओं की तुरत मृत्यु हो जावेगी। पर यदि शनैः शनैः रक्त की अल्पता होती गई तो कोषाओं की मृत्यु भी धीरे धीरे ही होगी। जितने अनुपात में उस अङ्ग में रक्त जाता है उसी अनुपात For Private and Personal Use Only
SR No.020004
Book TitleAbhinav Vikruti Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuveerprasad Trivedi
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1957
Total Pages1206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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