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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १०८६ विषय निदान परिवर्जन निद्रा निद्राधिक्य निद्रानाश - निद्रालुता ३९८ निन्दित विवाह ९२६, ४१० निस्सादि नीलोहा -- की कमी क्षति पृष्ठ ३८८ ३९७ ३८६ ३६६ ३९८ ३६२ १०३० ९१६ अप्रतिषेधाभ ९२१ अम्बापकर्ष ९२१ आमवातिक आमवातीय औपfर्गक विभाग ९१७ नीलोहा कारणविहीन रक्तस्रावी ९१८ --- - नीलोहा कारणविहीन साधारण ९२१ नीलोहा के अन्य रूप ९२१ द्वितीयक (उत्तरजात ) ९२३ - बिम्बाण्वपकर्ष ९१७ ९२२ जनित प्राथमिक ९२८ रक्तस्रावी ९११ वैषिक - ९२१ ९२२ विभाग ९१७ शूनलीनीय साधारण ९१७, ९२१ हैनिकीय "" ९२१ पंचभूतानियां पत्रिकाम्ल पद्मिनी कण्टक न्यच्छ ८५६, ७७३,७७७ न्यष्टीला नाश २३३ न्युपदंश (परंग) ६३८ न्यूमोनाइटिस पक्कव्रणलिङ्ग ९७ १८ पक्षाघात - सम्प्राप्ति १०६७ ९८३ ९७१ ७७६ विषय पृष्ठ परङ्ग (न्युपदेश ) ६३८ परमनि ―――― www.kobatirth.org ९५५ परमजिह्वता ८४९ १४८ विकृतिविज्ञान पैत्तवरक्तता मधुवशिता रक्तता परिक्षय ४१० परिचेर्तकीय उपग्रह १८२ परिणामशूल १३७ परिदर १०१ ७१ परिधमनीपाक परिबीजकोषपाक १६३ परियकृत्पाक १३२ परिलसग्रन्थिपाक ७५ परिलसीकपाक ७५ सन्धायीस्तरतान्तव परिसिरा शोथ परिस्रावी व्रणशोथ परिहृच्छदपाक परिहृत्पाक यक्ष्म सपूय पर्यस्थपाक पाक पर्यावरण पर्वभेद पश्चका - फिरंगज या प्रचलनासङ्गति ६२५ २७९ २१ • रक्त २१ पाचकानि की महत्ता ९५७ पाण्डु अपित्तमेहिक ९२९ अति Edit - ७९२ २७८ पाक ४९ २६३ २५ पाण्डुरोग ५७ ५२९ ५८ ३६ ५९१ ५१९ ४१० निरुक्ति सम्प्राप्ति पाण्डुशोणांशिक अवाप्तरूप ९३१ विकृति ९३१ सहज रूप ९२९ ८८८ ९०६ १०६८ ९२८ For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषय पारयातन पार्किन्सोनीयता पार्श्वगमन पुरुखण्डन्यष्टि कोशाओंका १२ २५९ १०४ पार्श्वरुजा पाषाणगर्दभ पिङ्ग ३७६ ४०४ पिटिका शीत पिण्डिकोद्वेष्टन ३१२, ३४९ पित्तज्वर देखो ज्वर-पित्त ही मोतीझरा है ३८६ पित्तार्श पित्ताशय पर व्रण १०१० शोथ का प्रभाव पित्ताशय पाक जीर्ण तीव्र पित्रागति पीडा अंसपार्श्व में - पीतपट्टिका पीताभ पीतार्बुद सर्वांगी पुञ्जन्यंशि पुटक पाक पुनर्निमाण पूतिनासा पूय परिभाषा पृष्ठ २८१ २०९ पूयरक्तता केशिका भाजीय पूयसन्धि पूरक प्रतिबन्धन बन्धन अस्थिका पुरःस्थ ग्रन्थि पाक पुरुष प्रजननांगों पर व्रणशोथ का परिणाम १६१ पुर्वंगक ग्रन्यर्बुदीय पृष्ठतोद पृष्ठ मेर्वर्बुद १३१ १३४ १३२ ५१९ ४९५ ८२८ ३७६ ८२७ ८२७ १०२७ ५४ २८५ २९५ १६१ ७७५ ७८४ ८२ १७ १२५ ४५ १०३३ १०३१ ३५९ ८२४
SR No.020004
Book TitleAbhinav Vikruti Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuveerprasad Trivedi
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1957
Total Pages1206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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