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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०७८ विकृतिविज्ञान २६८ ८४५ विषय पृष्ठ | विषय पृष्ठ विषय पृष्ठ अन्तःग्रवपाक १५६ अर्धावभेद समाप्ति १०५९ अर्बुद ब्रुक का ७१५ - धमनीपाक अर्बुद-अधिच्छदीय - भ्रौण ८६० __ अभिलोपी ७२ ऊति के ७०६ - भौगाम ८६२ - पूयता - अधिच्छदीय - मिश्रित पित्ताशयकी १३५ अतिके अन्य ७९७ - रंगित - शल्यता - अधिच्छदीय - लसीकाधिच्छदीय ७१७ - अर्बुदिक ऊतिके साधारण ७०४ - वर्गीकरण ७.४ कोशाद्वारा ६६८ - असितवर्ण कोशा८२० - आयुर्वेददृष्टया ७०५ - शल्यता - अस्थि ८४१ - वात ऊतीय ८५१ जीवाणुजन्य २७३ - उपशमकीप्रक्रिया७०० - वाततन्तु ८५२ - शल्यता परिणाम२७० - क्रियाशून्यता ६६७ - वातनाड़ीरुह ८२० - वात २७२ - गोल ८४८ - वातश्लेष - स्नेह २७३ - चेतासह ८२० - वाहिनीय - शल्यरचनाके -छिद्रिष्टरुह - वाहिनीरुह ८४९ परिणाम २७२ मस्तिष्क का ८१० - विमजिरुह ८५५ अन्तरायाम सम्प्राप्ति१०५८ - ताराकोशा ८५४ - विल्मीय ८१९ अन्तर्दाह ४१० - तेजोहृषता की --- व्रण वस्तुरूप ८२७ अन्तर्विद्रधि सम्प्राप्ति १०५७ दृष्टिसे ३ श्रेणियाँ ८०३ -- शुक्रीय ७५८ अन्तश्छदार्बुद ८५० - दुष्ट तथा साधारण - शोणोत्पादक अन्नपाचनमें क्रियाएं ९८२ । में अन्तर ६७३ ऊतियों के ८५१ अन्नद्वेष ३८१ । - दृष्टिरुह ८५२ - संयुक्त ८६० अन्नप्रणालीसिराविस्कार १२७ / - दौष्टय को अंशांश -- संयोजीऊति के ८०१ - रसखेद कल्पना ६७६ - - दुष्ट " - अन्नविष ९६० - नाडीकन्दिका - सम्प्राप्ति १०५९ अन्येद्विष्कज्वर ___या वातकन्दिका ८५२ - -के साधारण८२ सम्प्राप्ति १०५८ निलयस्तर - हृषता ७०१ ८५५ अपची ७७, १०५८ --- नैदानिकप्रकार ६७१ अबुंदीय रचना ६६४ अपतन्त्रक १०५८ - परिभाषा ६६० - विस्तार ६६७ अपतानक - पाक न होने का अर्श - स्थान १०१७ - सम्प्राप्ति १०६१ कारण ६६० - निरुक्ति १००५ अपरदन ग्रैविक १७२ -पीत ८२७ - जातस्योत्तर अपस्मार सम्प्राप्ति १०५८ - पुनः रोपण ६७० कालज १००८ अप्रहर्ष ३१३ पृष्टमेरु ८२४ - त्रिदोषज अमीबिक डिसेण्ट्री ९९३ --पेशी-ऊति के ८४३ (सन्निपातज) १०१३ अयेा का रोग ७३ प्रकरण -द्वन्द्वज १०१२ अरक्तता (देखोरक्तक्षय) - प्रगण्ड चेता - पूर्वरूप १००५ अरति ३०९, ३८६ - प्रतीपगामी -- प्रकरण १००३ अरुचि३१०,३८१,३८२,४४१ परिवर्तन ६६६ वर्गीकरण १०१९ अरोचक ३६७ प्रभाव ६७७ वाग्भटोक्त अर्दित सम्प्राप्ति १५९ | - प्रविकिरण ६९८ । अर्श भेद १००६ ८२० For Private and Personal Use Only
SR No.020004
Book TitleAbhinav Vikruti Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuveerprasad Trivedi
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1957
Total Pages1206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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