SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 679
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६४८ www.kobatirth.org विधि - संग्रह | रोहिणी - तपकी विधि । जिस तपस्वीको रोहिणी तपकी तपस्या करनेकी इच्छा हो वह पहले शुभ दिन और शुभ समय देख कर गुरुके पास जा कर वन्दना व्यवहार कर के विनय-पूर्वक रोहिणी तप ग्रहण करे | बाद जिस दिन रोहिणी नक्षत्र हो, उस दिन उपवास करके बारहवें वासुपूज्य स्वामीकी पूजा-अर्चना करे । अष्ट मंगलिककी रचना कर अष्ट द्रव्य चढ़ावे | देव वन्दनादिक धार्मिक क्रियाये करके गुरुके मुख से धर्मोपदेश श्रवण करे। यदि गुरुका संयोग न हो तो इस विधिके पहले जो रोहिणीतपका स्तवन दिया गया है, उसे शान्ति पूर्वक पढ़, या किसी साधर्मिक भाई से श्रवण करे । और "श्री वासुपूज्य स्वामी सर्वज्ञाय नमः” इस पदको २००० दो हजार बार गिने; यानि इस पदकी वीस मालायें गिने । इस तरह विधि - पूर्वक सात वर्ष पर्यन्त रोहिणी तपकी आराधना कर लेने से तपस्वीकी मनोकामना पूर्ण हो जाती · Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only * 1
SR No.020001
Book TitleAbhayratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherDanmal Shankardas Nahta
Publication Year1898
Total Pages788
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy