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પૂ૨૨ सज्झाय-संग्रह।
प्रति क्रमणको सज्झाय । __ कर पडिकमणो भावसं, दोय घड़ो शुभ जांण लालरे॥ परभव जातां जीवनें, संबल साचं जाण ॥ लालरे ॥ १॥ कर पडिकमणो भावसं ॥ ए आंकणो ॥ श्रीमुख वीर समुच्चरे, श्रेणिकराय प्रतिबोध ॥ ला०॥ लाख खंडी सो. ना तणी, दीये दिन प्रति दान ॥ ला० ॥ २॥ कर० ॥ लाख वरस लग ते वली,एम दीये द्रव्य अपार ॥ ला०॥ इक सामायिकनी तुला, नाव तेह लगार ॥ला० ॥३॥ कर०॥ सामायिक चउविसत्त्थो,भलं वंदन दोय दोय वार लालरो॥ व्रतसंभारो रे आपणां, ते भव कर्म निवार ॥ लालरे ॥४॥ कर०॥ कर काउसग्ग शुभध्यान थी. पञ्चक्खाण सूधं विचार ॥ लालरे ॥ दोय सज्झा. ये ते वली, टालो टालो अतिचार ॥ लालरे ॥ ५॥ कर० ॥ सामायिक परसादथी,लहीयें अमर विमान ॥ लालरे॥ धरमसिंह मुनिवर कहे,मुगति तणं ए निदान ॥ लालरे॥६॥
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