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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६२ सम्मेत शिखरजीका रास। लाला ॥श्रीमु०॥ ११॥ वरुणयक्ष देवी भली, नरदत्ता सानिधकार रे लाला ॥ सहस मुनि परवारसे, गए मुक्ति महल सुख सार रे लाला ॥ श्रीमु० ॥ १२॥ विजय पिता विप्रा मातजी, सोवन सम श्रीनमिनाथ रे लाला ॥ नीलकमल लंछन कह्यो, वपु धनुष पनर आयु साथ रे लाला ॥ श्रीनमिनाथ जिनेसरू ॥ १३ ॥ दस हजार बरसतणो, गणधर सित्तर परिमाण रे लाला ॥ वीस इकतालीस सहस क्रम, साधु साधवी संख्या जाण रे लाला ॥श्रीन० ॥१४॥ इक लख सित्तर सहसनी, तीन लच सहस वलि होय रे लाला ॥ श्रावक संख्या श्राविका, अनुक्रम करि संख्या जोय रे लाला ॥ श्रीन ॥ १५॥ विचरंता भूमंडले, आया सिखर समेत मझार रे लाला ॥ भकुटी यक्ष गंधारी सुरी, इक सहस मुनि परवार रे लाला ॥ श्रीन० ॥ १६ ॥ ॥ दहा ॥ परमेसर श्रीपासनी, महिमा जगत For Private And Personal Use Only
SR No.020001
Book TitleAbhayratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherDanmal Shankardas Nahta
Publication Year1898
Total Pages788
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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