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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२८ स्तवन -संग्रह | पास ॥ गोडीनो धरणी जागतो, सहूनी पूरे आस ॥२॥ शुभ वेला शुभ दिन घड़ी, महुरत एक मंडाण ॥ प्रतिमा ते इह पासनी, थई प्रतिष्ठा जांण ॥ ३ ॥ ॥ ढाल १ ॥ गुहि विशाला मंगलीक माला वामानो सुत साचो जी ॥ धरण करण कंचरण मणि माणक दे, गोडीनो धरणी जाचो जी ॥ गुरु ॥ ४॥ हिलपुर पाटण मांहे प्रतिमा, तुरकतणे घर हूंती जी ॥ अश्वनी भूमि अश्वनी पीड़ा, अश्वनी वालि विगूती जी ॥ गु० ॥ ५ ॥ जागंतो जन जेहने कहिये, सुहणोतुरकने पे जी || पास जिनेसर केरी प्रतिमा, सेवग तुझ संतापे जी ॥ ६ ॥ गु० ग्रह ऊठीने परगट करजे, मेघा गोठीने देजे जी ॥ अधिकम लेजे उछो मले जे, टक्का पांचसे लेजे जी ॥ ७ ॥ गु० ॥ नहि आपिस तो मारीस मुरडिस, मोर बंध बंधास्ये जी ॥ पुत्र कलत्र धन हय गय हाथी तुज, लच्छीघणी घर जास्थे जी ॥ ८ ॥ गु० मारग पहिलो तुमने मिलस्ये, सारथवाह जे For Private And Personal Use Only
SR No.020001
Book TitleAbhayratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherDanmal Shankardas Nahta
Publication Year1898
Total Pages788
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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