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अभय रनसार।
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य घड़ी सुप्रमाण ॥ स०॥ भगतवच्छल भल भे टिय, जिनवर चतुरसुजाण ॥ स० ॥ थां०॥४॥ जालम जेसलगढ जयो, श्रीचिंतामणि पास ॥ स०॥ जगपति श्रीजिनचंद्रनी, अविचल पूरो जी आस ॥ स० ॥ थां०॥५॥
॥आठवां पद ॥ ॥ जीवन मारा तेवीसमा जिनराय रे, जिनवरजी ॥ तुम विन देख्यां एक घडी न रहाय, म्हारा जिनवरजी ॥ १॥ तुमे अमारा हीयडलाना हार रे, जि० ॥ अमे तुमारा दास छियै निर धार ॥ म्हारा जि० ॥ लागी तुमसं लगन हमारी जोर रे, जि०॥ चंद चकोरा जलधरने जिम मोर॥ म्हारा जि० ॥२॥ नयण तुमारा कामणगारा जोर रे, जि०॥ चितड़ो लीधो जिम तिम करि ने चोर ॥ म्हारा जि० ॥ अरज हमारी मानो मोटा देव रे, जि० ॥ आपो भव २ चरणकमलनी सेव म्हारा जि ॥३॥ आस धरीने आवे जे तुह्म
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