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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir NANhrrnra ३७८ स्तवन-संग्रह। ज्जुमाली मेर ए, इहां किण इतरो नांमे फेर ए ॥ उ• ॥ फेर ए इतरो इहां नामे, अवर ठामेको नही ॥ एक २ मेरे तीन तीने, करमभूमि तिहां कही ॥ इम भरत एरवत माहाविदेहे, नांम सरखो हेतए॥तिणहीज नांमे विजय सगली, सासताधर्म खेत ए॥ २१॥ ढाल ॥ धातकी खंडै तिम पुष्कर सही, इहां क्षेत्रानी रचना विध कही बार २ कहतां ए विसतार ए, पहिला पर लेज्यो सुविचार ए॥3॥ सुविचार ए वाकी तेह सगलो, नगर तिमहिज मन गमें ॥ पूरवे पच्छिम जेहनी ते, तेह तिमहीज अ नुक्रमें ॥ श्रीचंद्रबाहु भुजंग ईसर नेम च्यार तीथंकरा, पूरवे पुष्कर अरध माहे, सरब जीव सुखं करा ॥ २२ ॥ ढाल ॥ वैरसेन वंदू जिन सतरमो, श्रीमहाभद्र अठारम नित नमो॥ देवजता उगणीसम देव ए, जसो रिद्ध वीसम जिण देव ए ॥ उ० ॥ जिण च्यार पुष्कर अरध माहे, कह्या पच्छिम भाग ए, तिहां मेरु विद्यु नमालि चिहुं For Private And Personal Use Only
SR No.020001
Book TitleAbhayratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherDanmal Shankardas Nahta
Publication Year1898
Total Pages788
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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