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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री गौतम स्वामिजी का रास । ९४६ सोभा संभवाए । देवां धुर अरहिंत नमोजे, विनय पहु उवकाय थुणीजे, इण मन्त्रे गोयम नामो ए ॥ ४३ ॥ पर घर वसतां काय करीजे, देस देशांतर काय भमीजे, कवण काज प्रयास करो । प्रह ऊठी गोयम समरोजे, काज समग्गल ततखिण सीजे, नव निधि विलसे तिहां परे ए ॥ ४४ ॥ चवदय सये बारोत्तर वरसे गोयम गाहर केवल दिवसे, कियो कवित्त उपगार परो । आदिहिं मंगल ए पभणीजे, परव महोच्छव पहिलो दीजे, रिद्धि वृद्धि कल्याण करो ॥४५॥ धन माता जिए उयरे धरियो, धन्य पिता जिण कुल अवतरियो, धन्य सुगुरु जिण दीखियो ए । विनयवंत विद्या भण्डार, तसु गुण पुहवी न लब्भइ पार, वड जिम साखा विस्तरो ए । गोयम सामी रास भणजे, चउविह संघ रलिया * यह श्री विनयप्रम उपाध्या जी श्री जिन कुशल सूरिजी के जिनका स्वर्गवास विसं० १३८६ में हुआ था, शिष्य थे । For Private And Personal Use Only
SR No.020001
Book TitleAbhayratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherDanmal Shankardas Nahta
Publication Year1898
Total Pages788
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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