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________________ वैदिक : संहिताएँ और साहित्य २९ आकार सं०मी० ८(क) २७४१० पंक्ति अक्षर| दशा/परिमाण | लिपिकाल ० प्र० पृ० प्र०५० (अनु० छन्द में) विशेष विवरण ८ (ख) ८ (ग) ८(घ) ९ ___ १० | ४२ | पूर्ण/९३८ १७.३ वि०न्यायसिद्धान्त का प्रमाणादि क्रम से (मन्मथनाम | विवेचन वर्ष) १९२४ सं० (माघशुद्वि०) | १२ | १० | ५५ | अपूर्ण २६४११ १.५ ३२ | पूर्ण/३२० ३१४१२ ३३४१६.५ ३१६/ १६ | ४२ | अपूर्ण/६६३६ २५.५४ १३.२ | १७ | १३ | ३६ | पूर्ण/२४९ 'पञ्चदशी' के केवल पाँच अध्याय प्राप्त हैं, जिनमें पञ्चकोशादि विषयों का प्रतिपादन हुआ है। साथ में रामकृष्ण कृत टीका भी है विद्यारण्य मुनि की 'पंचदशी' का एक अंश है, जिसमें अन्नमयादि कोशों का विवेचन किया गया है। यत्र-तत्र 'गूढार्थदीपिका' टीका के साथ अद्वैत वेदान्त विवेचन २४४१३ | १८ | पूर्ण/१६६३ २०४११.८ | २१ | अपूर्ण/६३१ २५.५४१३ | ३४ | पूर्ण/३५९ 'पंचदशी' का द्वितीय प्रकरण सटीक संगृहीत है, जिसमें पंचभूतों का विवेचन प्रस्तुत किया गया है २.४११ पूर्ण/३७५ | १७७१ वि० २३.५४१२.५ | १ | ५२ | पूर्ण/१५ . २९x१३.५ अपूर्ण/१४० २३.५४१२ २७ | पूर्ण/३४९ नास्तिक पाखण्डियों के कुतर्को काखण्डन कर सनातन धर्म की तथा जीवब्रह्मक्यादि सिद्वान्तों की स्थापना की गयी है। नास्तिक पाखण्डियों के मत का खण्डन किया गया है ३७४१९ ५३ | ९ | २७ / पूर्ण/४०२
SR No.018137
Book TitleSanskrit Prakrit Hastlikhit Grantho Ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandika Prasad Shukla and Others
PublisherHindi Sahitya Sammelan
Publication Year1976
Total Pages514
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size22 MB
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