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________________ आकार ( से० मी०) ८ क ३१×१४ २६×१३ २५.५×१४ २७१६ २६.८×११.८ १३८ ८ २७४१६ १६×१० २२.४४ १३ १४. ५×१३ २०x१३ २८x१२.५ १३४९ २९x१४ 3 पृ० सं०, ८ (ख) ८ (ग) ८ (घ) ५३ १८ ५३ १८ २ ३ १४ पं कि | अक्षर | दशा / परिमाण प्र० पृ० प्र० पं० (अनु० छन्द में) ९ ४ २ ९ ५६ १९ १३ ४० ४८ १० ११९ ८ ६ ११ १२ ८ वैदिक : संहिताएँ और साहित्य ६ १२६ ९ पूर्ण / १६९३ ३० अपूर्ण / १०३५ ३७ पूर्ण / २७१ ४५ अपूर्ण / ५९ १२ अपूर्ण / ६ २४ पूर्ण / १३५ ३० १५ पूर्ण / ११ पूर्ण / ४५० २० | पूर्ण / ३८५ २ पूर्ण/ १७१ ३८ पूर्ण / ३८० १६ पूर्ण / ३५७ ३२ अपूर्ण / ११३४ लिपिकाल १० विशेष विवरण ११ १८४३ वि० यह वेदान्त विषयक तत्त्वानुसन्धान' ग्रन्थ की टीका है । १८४९ वि० વ इसमें जीव एवं ब्रह्म के अभेद का प्रतिपादन किया गया है इसका आदि तथा अन्त भाग खण्डित है इसमें द्वैतप्रपंच का विवेचन किया गया है जीवन्मुक्ति का भी उल्लेख है १८५३ वि० इसमें नित्य आत्मा का अनित्य देह से तादात्म्य माननेवालों की निन्दा की गई है । ब्रह्म को ही एकमात्र सत्य तथा उसी से सब सृष्टि होने का प्रतिपादन किया गया है साथ में पद्यात्मक हिन्दी रूपान्तर भी है १८८३ वि० १९२८ वि० इसमें द्वादशलक्षणी मीमांसा अत्यन्त सूक्ष्मरूप में प्रतिपादित की गई है यह एक बहु प्रचलित ग्रन्थ है वेदान्त-सम्मत आध्यात्मिक तत्त्वसंकलन इसमें १९ से ४६ पत्रों तक खण्डित, प्रकरणों में विभक्त, मोक्ष प्राप्ति के उपायों का विधिवत् विवेचन किया गया है
SR No.018137
Book TitleSanskrit Prakrit Hastlikhit Grantho Ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandika Prasad Shukla and Others
PublisherHindi Sahitya Sammelan
Publication Year1976
Total Pages514
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size22 MB
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