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________________ पुराण : इतिहास विशेष विवरण आकार (सेमी०) ____८ (क) २७४११ ११ पंक्ति | अक्षर दशा/पूर्ण पृ० स०प्र० पृ० प्र०५० (अनु० छन्द में) | लिपिकाल ट(ख) ८(ग) ८(घ) ९ १० ९ | ३२ | अपूर्ण/१२६० | १८९९ वि० नगरखण्ड (शाके १७६४)। ७ | २४ | अपूर्ण/८० २५४१२ उत्तरखण्ड ३४४१४ | ४८ | पूर्ण/१३५६३ ३३४१३ ३७२ | ११ ५६ अपूर्ण/७२३१ ३२.५४१३ १०२० १० | ४६ | पूर्ण/१४६६३ १६९४ वि० लिपिकाल की दृष्टि से महत्वपूर्ण । इसे महाभारत का खिलपर्व कहा जाता है। इसमें पृथु, वेणु, मनु तथा अन्यों के चरितों के साथ प्रधानरूप से श्रीकृष्णचरित विस्तार के साथ वणित हैवस्तुतः यह कृष्णचरित सम्बन्धी सभी परवर्ती पुराणों के लिए आकर ग्रन्थ रहा है। ग्रन्थ बहुत जीर्ण हो चुका है किन्तु सुलिखित, जीर्ण ३२४१२.८ | ५४ | १० | ४८ | अपूर्ण/८१० २७.५४ १३.५ १६०६ (१६८ ३७ | पूर्ण/१८५६९ | १८१८ वि० | जीर्ण । यह महाभारत का खिलपर्व कहा ३ शक) जाता है। श्रीकृष्णचरित विषयक यह सबसे प्राचीन पुराणों में है १३ | ४० | अपूर्ण/६०१ ३१४१४ २४४१० |११८ | १२ | ६४ / पूर्ण/२८३२ | टीकामात्र सम्पूर्ण
SR No.018137
Book TitleSanskrit Prakrit Hastlikhit Grantho Ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandika Prasad Shukla and Others
PublisherHindi Sahitya Sammelan
Publication Year1976
Total Pages514
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size22 MB
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