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________________ 172 Vadangas जयति विघुशं सन्मानसाचासहंसी वचनमयशरीरा भारती गौरहारा तदनु च विजयते सूर्यमुख्याग्रहेंद्रास्तदपि च पदपनद्वंद्वमस्मद्गुरूणां ॥२॥ यो बादरायणवसिष्टपराशराथैः होराविधिविरचितो विवांस्तदर्थान् ॥ विज्ञाय सम्यगधुना वयमप्यविज्ञा यत्कुर्महे किमपि सौत्र गुणस्तदीयः ॥३॥ etc. - fol. 2a इति श्रीप्रभचूडामणिसारे सूचनिकाप्रकरणं प्रथमं ।। Ends - fol. 24a व्याख्या ॥ धान्यवाववानो प्रश्नकरैतिवारै प्रश्नाक्षरनामांक एकठा करी १२ भागेरवा॥ शेष १ उगैरै अकस्मा धान्यनी उत्पत्ति कहवी ॥ शेष १०११ार रहै तो धान्यमी उत्पत्ति थई नाश थाय ॥ शेष ९२ रहै तो धान्यनी उत्पत्ति रुडी कहवी।। शेष ९ उगरै तो घणो काले थाय ॥ शेष १२।४ रहै तो प्रकरधननो भागमन थाय।। शेष ८ रहै तो बहधान्य थाय ॥ शेष ५ रहे तो धान्यनी उत्पत्ति थाय ऐरीत प्रभकरवू ॥ इति धान्योत्पत्तिप्रकरणं ।। ' इति श्रीचूडामणौ ग्रंथे संपूर्ण समातोयं ग्रंथे ॥ श्रीशुभं भूयात् कृतिका• दिननक्षत्रं चतुर्गुणित सध्रु॥ सप्तभिस्तुहरेद्भाग्यं शेषप्रश्नं च उच्यते १ स्वग्रामे प्रथमे च द्वितीयशीघ्रमेव च ॥ तृतीये निर्गमे स्थानं चतुर्थे गृहमागतः ॥ पंचमे पंथ गंतव्यं षष्टे रोगक्षयंकरः॥ सप्तमे नाशमामोति इति प्रभस्य लक्षणं ॥१॥ प्रश्नज्ञान Praśnajñāna 346 (iii) No. 719 1879-80 Size -91 in. by3/in. Extent – 80 to 140 leaves; 7 lines to a page ; 30 letters to a line. Description -Country paper; Devanagari characters with पृष्ठमात्रा' handwriting clear, legible and uniform ; borders ruled in double black lines; edges worn out; complete. Age - Samvat 1557.. .
SR No.018106
Book TitleDescriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP D Navathe
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1991
Total Pages364
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size19 MB
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