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________________ 695] Begins fol. 16 fol. 58a ए६० ॥ आदि जिनवर । आदि जिनवर प्रथम प्रणम्योसु ॥ अंबाई धुरि अर्बुदा सकलदेवि श्रीमात ध्याहुं ॥ पुमावs चक्केसरी वागवाणि गुण रंगि गाऊं । सुहगुरु आयस सिरि धरी । आलस अलग कस्यउ स कहइ कवियहुं विमलमति विमलप्रबंध रच्योसु १ Ends - fol. 660 The Svetambora Works भार पित्तलमय श्री आदिनाथमूर्तिस्थालस्थापन महोत्सवानंतरं गृहागसनश्रीवर्णिकनाधिकारे नवमषंडं संपूर्णं ९ । छ । दूहा ॥ छंद कवित ते मिली । भाषा विविध विचित्त । विमलरास अक अछइ । तेरसयां छप्पन्न ( १३५६ ) ६७ ॥ जे भणत लहीयइ । भोग भूतालि भणंनि लावण्यसमइ । ए विमलरासनि विमल वाणी । विमलघरि रिद्धिवृद्धि रमइ ।। १६८९ इति श्रीपंडितमुकुट श्रीविमलमंत्र पंडितश्रीलावण्यसमय गणिकृते नवरंगनवर्षंडे पंचशतभट्ट नामप्रगटीकरण विमलश्री सुप्रभात चरित्रविवरण स्त्रीवर्णनकर्त्ता कविचरित्र - सकलाश्रीसंघवर्णनरास वर्द्धापन | संवत्सर ग्रामादिक धन विमल श्रीसुप्रभात आसीर्वादायधिकारे नवषंडचूलिका समाप्ताः ९ प्रथमा वृहद्रासक्ता प्रति, ६ संवत् १६४९ वर्षे चैत्रवदि प्रतिपदा शुक्रवारे ॥ श्री 'खरतइ 'गच्छे श्रीजिनचंद्रसूरि ॥ साधवीस्वोक्रणय पठनी ... Il र ९ Reference - For extrates and an ( ? ) additional Ms. dated V. S. 1584 see Jaina Gurjara Kavio (Vol. I, pp. 76. 79). On p. 77 a horoscopic data is given as under : गु ११ बु ८ शु १० श. १२ ७ मं के श्री ३ रा 75 ६ ४ चं २ ५ १
SR No.018104
Book TitleDescriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Rasikdas Kapadia
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1987
Total Pages332
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size18 MB
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