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________________ 44 Jaina Literature and Philosophy [ करं मुनिदानमुत्तमगुणं शीलं सुपत्रोच्चयो गृह्नी(णी)ध्वं गुणकृजिनै निगवितं तांबूलमेतज्जयः १ जिहां रविशशानां तेज सिंधु धराने हेज आ आनंदमंदिर प तिहां लगइं थिर रहो जी.३० सर्व गाथा २२६७ दुहा अतीत चोवीसी एहथी थई पेहली जेह निर्वाणीजिनतीरथे य(थ)थो(पो) पह गुणगेह १ ते संबंध तप ऊपरिं संप्रति वीर जिणंद गौतम प्रमुख परंपरा वली जे पूर्व मरिंद २ ।। तेणइं कथित चरित्रथी तस अनुसार प्रगट्ट ढालरूप ए बांधीओ मनमोदें गहगट्ट ३ । अत्तागम ने अनंतरा परंपरागम जेह ग्रडं वचन प्रमाण छ तेहि ज निस्संदेह ४ आपमति अभिनिवेसिया अविनयी ने बहुमाय तेहनां वचन प्रमाणतांबहुसंसारी थाय ५ जिणआणा आगलि करें नय गम भंगप्रमाण स्याद्वादी शुद्ध कथक जे ज्ञान क्रिया अहिठाण ६ तेहनां वचन प्रमाणतां समकित निर्मल थाय समकितथी चारित्रनी गुण सघला ठहराय ७ सर्व गा(था) २३७३ ढाल ५५ मी राग धन्यासी 'तप' गच्छको सुलतान महावे ए देशी 'तप' गच्छ निर्मल जिम गंगाजल लायक नायक तेहना जी... श्रीआणंदविमलमूरिसर संप्रति संवेगगुण जेहना जी १ सुणयो भविषण ! साधु तणा गुण भणयो भावे धरीने जी जिनदर्शन मुनिवंदन ए बेहु मोटा करणी भविने जी सुणयो० आंचली क्रियाउद्धार करीने जेणे शासनशोभ चढाईजी कुमतजलधीमां पडतां जननें बोधि दीओ सुखदाई जी २१० श्रीविजयदानसूरीसर सुंदर तस पटदिनकर सारषा जी. अढी लाख जिनबिंच प्रतिष्ठा जिनमतें सुंधा परिष्या जी । मु. हीरो श्रीहीरविजयो सूरी कीर्ति सजी जिणे गोरी जी साहि अकबरने निज धयणे जिनमत स्यु मत्ति जोरी जी ४ म....
SR No.018100
Book TitleDescriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Rasikdas Kapadia
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages480
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size25 MB
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