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________________ 247.] The Svetambara Narratives 331 पाणी प्रभुतां । कांई भणै रे गुणसागरसूरि के ॥ ९७ ॥ ० संच्छर (सोल) छहत्तर (१६७६) रे । मास सावण युद्ध | तीज सोम समुत्तरा । कांइ वासर रे वारू अविरुद्ध कि ।। ९८ ।। गा० 'कुर्कुटेश्वर' नगर में रे | पाससामिपसाय । संघ उजकपणे । कांई रचिओ रे महं चरित सुभाय कि ॥ ९९ ॥ गा० ढालसागरो नाम । श्री' हरिवंसनो विस्तार । शुद्ध भावें सांभलई | कांड पांमह रे सुप संपति सार कि गा० । ३००० ॥ एक सौ एकावनई रे । ढालनो सोभाग | आदितो 'आसावरी' | कांई अंतइ रे 'घन्यासी' राग कि ॥ १ ॥ गा० जब लगि गिरि 'मेरु'जी रे | सकल गिरवर ईस । तब लगि 'हरि' वंस ए। कांइ घा ( था ) ज्यो रे थिर विस्वा बीस कि ॥२॥ गा● कलस 'हरिवंश गायौ सुयश पायौ ज्ञानबुद्धिप्रकाशनौ । पाप बाटो गयो नाठौ पुन्य आयौ आसनी ॥ करण पुत्र कलत्र कमला पढत सुनत सुहांमणो । पूज्य श्री गुणसूरि जपै संघरंगि बधामणौ । श्रीहरिवंशप्रबंधे ढालसागरे भीगुणसागर सूरिकृतं समाप्तं । लिषितं श्री लीलसागरेण श्री' बहितहड' मध्ये | संवत् वर्षे १७५० बैशाषमासे कृष्णपक्षे एकादशीतिथो भृगुवासरे साध्वीलक्ष्मीवृद्धिशिष्यणीबाई नांहीवाचनार्थ श्रीरस्तु कल्याणमस्तु वाच्यमानश्विरं नंदतात् श्री श्रमण संघस्य श्रेयः ॥ Reference. For extracts and additional Mss. see Jaina Gurjara Kavio ( Vol. I, pp. 497-500 ). ढालसागरहरिवंशप्रबन्ध Dhalasagaraharivamsaprabandha 1616. 1891-95. No. 247 Size - 1o in. by 44 in. Extent. - 98 folios; 18 lines to a page ; 43 letters to a line. Description. - Country paper tough, rough and greyish; Devanāgari characters; small, clear and fair hand-writing; bor S 10 15 20 25
SR No.018100
Book TitleDescriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Rasikdas Kapadia
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages480
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size25 MB
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