SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 252
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 167.] The Svetāmbara Narratives 217 . Begins.- fol. 100. श्रीगणेशाय नमः अथ केसीकुमारचौपई लिख्यते 10 15 स्वस्ति श्रीअरिहंत सिधि आचारज उवझाय रत्नत्रयसाधक मुनी प्रणम्यां पाप पलाय १ समित ब्रह्माणीवाणि जिणगुण है अमम अनेक बिन भगति करि मांगि हु दीजै बोध विधेक २ गोविंदसरसं गुरु अधिक जे सबै नित पाय पागीस्वर श्रीधर कर आतमरिधि प्रगटाइ ३ पचनकला तेहवी नही नहि तेहबो श्रुत ग्यान अलप मन आरंभ कीयो सुध करीयो बुधवांन ४ मुनिवरना गुण गायवा मो मन भयो उच्छाह श्रीगुरुदेवप्रसादसं विघन अग्यान विलाहि ५ श्रीपारससंतानीया केसीनाम कुमार ताहि प्रबंध रचुं म(१)वा परदेसी अधिकार ६ etc. . Ends.- fol. 23. निहचै नै विघहार भराधे पण समवायधम साधे जी सोई समकिती जीव कहावे यावषादमति ध्यावे जी ७४० वृपप्रश्नीथी ए अधिकारा रिषमंडल भी बिचारा जी कथाकोसनी ले संप्रदाया इकठा करि जु मिलाया जी ८४० सुगण हंसने हंस ज्यु सूझे गुण लेबै मन बूझै जी अधम उलू रवि देषत रीसै निस अवगुण तिण दीसे जी ९४० खि सिद्ध सुष संपति पाजे भावट अलगी भाजै जी आणंद मंगल जय जस गाजे ध्रम धारे मन साजै जी १०४. जे पहिरे मुनिगुणगलमाला सुरभ सुगत ए रसाला जी , तेहनै पूजे त्रिदसनी बाला मिटै कुगति दुषजाला जी ११४० 'खरतर 'पति जिणचंद सवाया उदयतिलक उवझाया जी..... अमरविजं गुरुचरणपसाया केसी मुनि गुण गायाजी १२४० रस पूरण घसु हंस (१८०६) सुवर विजदसम दिन हरपे जी 'गारबदेसर' रह्या चोमासो पायो सुष उलासी जी १३४० एह संबंध रच्यो सुविचारी वक्ता श्रुता हितकारी जी सुणसी मणसी जे नरनारी बिहुनै मगलकारी जी १४४० 28 [I. L. P.] 20 35
SR No.018100
Book TitleDescriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Rasikdas Kapadia
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages480
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy