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________________ मंगलकामना. प्रकाशकीय अनुक्रमणि प्राक्कथन ..... अनुक्रमणिका. प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत. हस्तप्रत सूचीकरण सहयोग सौजन्य एवं सादर ग्रंथ समर्पण. हस्तप्रत सूची . परिशिष्ट : कृति परिवार अनुसार प्रत- पेटाकृति अनुक्रम संख्या... १. संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से कृति परिवार सह प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १.. २. देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से कृति परिवार सह प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २.. प्रस्तुत खंड २७ में निम्नलिखित संख्या में सूचनाओं का संग्रह है. * प्रत क्रमांक - १२०१६१ से १२४०२५ iii iv v-vi .vii-viii .१-४६८ .४६९-५९६ इस सूचीपत्र में हस्तप्रत, कृति व विद्वान/व्यक्ति संबंधी जितनी भी सूचनाएँ समाविष्ट की गई हैं, उन सबका विस्तृत विवरण व टाइप सेटिंग संबंधी सूचनाएँ भाग 7 के पृष्ठ VI एवं परिशिष्ट परिचय संबंधी सूचनाएँ भाग 7 के पृष्ठ 454 पर हैं. कृपया वहाँ पर देख लें. * समाविष्ट प्रतों में कुल ३७५६ कृति परिवारों का समावेश हुआ है. * इन परिवारों की कुल ४४०२ कृतियों का इस सूची में समावेश हुआ है. * सूची में उपरोक्त कृतियाँ कुल ६१२३ बार आई हैं. .४६९-५११ IV ५१२-५९६ * इस सूचीपत्र में मात्र जैन कृतियों वाली प्रतों का ही समावेश किए जाने के कारण वास्तविक रूप से इस खंड में २७१८ प्रतों की सूचनाओं का समावेश हुआ है.
SR No.018084
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 27
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2019
Total Pages624
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size19 MB
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