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________________ * प्रकाशकीय * जिनेश्वरदेव चरम तीर्थंकर श्री महावीरस्वामी, श्रुतप्रवाहक पूज्य गणधर भगवंतों, योगनिष्ठ आचार्यदेव श्रीमद बुद्धिसागरसूरीश्वरजी तथा परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी की दिव्यकृपा से परम पूज्य आचार्यदेव श्री कल्याणसागरसूरीश्वरजी के शिष्यप्रवर राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी की प्रेरणा एवं कुशल निर्देशन में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर के श्री देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भाण्डागारस्थ हस्तलिखित जैन ग्रंथों की सूची के २७वें खंड को चतुर्विध श्रीसंघ के करकमलों में समर्पित करते हए श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबातीर्थ परिवार की अनुभूति कर रहा है. _ विश्व में बहुत से ग्रंथालय तथा ज्ञानभंडार हैं, किन्तु प्राचीन परम्पराओं के रक्षक ज्ञानतीर्थरूप आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर (जैन व प्राच्यविद्या शोध संस्थान एवं ग्रंथालय) में हस्तलिखित ग्रंथों का बेशुमार दुर्लभ खजाना पूज्य गुरुदेवश्री द्वारा भारत के कोने-कोने से एकत्र किया गया है. यह ज्ञानभंडार इस भूमंडल पर अब अपना उल्लेखनीय स्थान प्राप्त कर चुका है. हस्तप्रतों की संप्राप्ति, संरक्षण, विभागीकरण, सूचीकरण तथा रख-रखाव के इस कार्य व मार्गदर्शन में राष्ट्रसंत पूज्य आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरिजी के अधिकतर शिष्य-प्रशिष्यों का अपना योगदान रहा है. तपस्वी मुनिप्रवर श्री निर्वाणसागरजी ने तों के सूचीकरण हेतु वर्षों तक अहर्निश भगीरथ परिश्रम किया है. इस सूचीकरण की अवधारणा को और विकसित करने में तथा कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के कार्य में ग्रंथालय विज्ञान की प्रचलित प्रणालियों के स्थान पर महत्तम उपयोगिता व सूझबूझ का उपयोग करने में तथा समय-समय पर सहयोगी बनने हेतु आचार्य श्री अजयसागरसूरीश्वरजी तथा यहाँ के पंडितवर्यों, प्रोग्रामरों और कार्यकर्ताओं ने अपनी शक्तियों का यथासंभव महत्तम उपयोग किया है. इसी तरह पूज्य आचार्य भगवंत के अन्य विद्वान एवं प्रज्ञाशील शिष्यों का भी इस पूरी प्रक्रिया में विविध प्रकार का सहयोग प्राप्त होता रहा है, जिससे ज्ञानमंदिर की प्रवृत्तियों को विशेष बल एवं वेग मिलता रहा है. इस अवसर पर संस्था ज्ञात-अज्ञात सभी सहयोगियों व शुभेच्छुकों की अनुमोदना करते हुए हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करती है. सभी के मिले-जुले समर्पित सहयोग के बिना यह विशालकाय कार्य संभव नहीं था. पंडितों के साथ-साथ करीब पचास कार्यकर्ताओं के माध्यम से, श्रीसंघ के व्यापक हितों से संबद्ध ज्ञानमंदिर की अनेकविध प्रवृत्तियों के संचालन के लिए निरंतर बड़ी मात्रा में धनराशि की आवश्यकता रहती है. किसी भी प्रकार के सरकारी या अन्य किसी भी अनुदान को न लेकर मात्र संघों व समाज की ओर से मिलनेवाले आर्थिक व अन्य सहयोग के द्वारा कार्यरत इस संस्था में हस्तप्रत सूचीकरण व संलग्न अन्य विविध प्रवृत्तियाँ निरंतर गतिशील रहती हैं. इस भगीरथ कार्य हेतु भारत व विदेश के श्रीसंघों, संस्थाओं व महानुभावों का आर्थिक सहयोग यदि नहीं मिल पाता तो इस कार्य को आगे बढ़ाना मुश्किल था. समस्त चतुर्विध संघ तथा संस्था के सभी शुभेच्छुकों को इस अवसर पर साभार-धन्यवाद दिया जाता है.. आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में चल रहे श्रुतभक्ति के प्रत्येक कार्य में हमारे वर्तमान ट्रस्टीगण एवं कारोबारी सदस्य तो अत्यन्त उत्साही व सक्रिय रहे ही हैं, साथ-साथ ज्ञानमंदिर को उन्नति के शिखर तक पहुँचाने में भूतपूर्व ट्रस्टियों एवं कारोबारी सदस्यों का भी जो महत्त्वपूर्ण योगदान प्राप्त हुआ है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची-जैन हस्तलिखित साहित्य के इस २७वें खंड के वित्तीय सहयोग प्रदाता शेठ श्री संवेगभाई लालभाई परिवार, अहमदाबाद के प्रति संस्था कृतज्ञता व्यक्त करती है. आचार्य श्री कैलाससागरसूरि स्मृति ग्रंथसूची के इस २७वें रत्न का समाज में स्वागत किया जाएगा, ऐसा हमारा विश्वास है. श्री सुधीरभाई यु. महेता - प्रमुख श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र ट्रस्ट - कोबातीर्थ, गांधीनगर
SR No.018084
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 27
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2019
Total Pages624
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size19 MB
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