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________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ " दानशीलतप भावना 219 बोपदेशिक धर्म महात्म्योपदेश दानशीलत भावना 5 तात्विक पदेशिक नैतिक भक्ति 11 "" 11 17 12 तात्त्विक " " 7 11 37 11 8 " 8 55 36 उपदेश व उसके विषय अपदेशिक कथासह 106 3* ध्यानयोग + उपदेश न्यायनय विचार जैन न्याय 6 44 7* 5 7,8 8 5 6 17 10 10 12 9* 12 16 11 13 8A 26 × 11 * 8 x 45 26 × 11 * 17 x 48 23 x 11*14 × 32 26x12 * 5x36 26 × 12 *16 x 55 25 × 12*21 x 49 26×11*12 x 49 26x11*14x42 25 x 10*13x44 23 x 11 व 15 x 10 26 × 11 *13 x 32 27 x 13 * 11 × 37 30 x 13 * 13 x 55 26 x 12*16x44 26×11 *11 × 35 26 × 12 * 12 × 35 25 x 13 18 x 50 26 × 12 * 3_x_40 24 × 11 * 3 × 24 26×11*17 × 41 25 X 11 * 3×34 25 × 9 *17 x 58 26 × 11 * 12 × 55 26 × 12*15 x 47 पूर्ण 4 शाखा 20वीं प्रतिपूर्ण 20वीं टक लगभग 51 लीक हैं 19वीं सं. 36 इलोक सं. 1515 श्लोक सं. 57+57 प्रत्येक संपूर्ण संग्रह 23 लगभग पूर्ण संपूर्ण " " 11 " 20वीं अपूर्ण 48वीं गा तक है 15वीं संपूर्ण 35+ 33 पद संपूर्ण " 73 "" 57 पद 17 " 55. गा. 45 44 "" 9 11 55 " 27 " सह प्रशस्ति 47 गा. 10 11 1793 संरणा भाणसागर 19वीं जेसलाद्री 19वीं प्रथम व अंतिम पन्ना नहीं है 18वीं X लुकागच्छीय 1762 की कृति / प्रथम आदर्श ? प्रशस्ति है / जीर्ण 1816 x रुपगच्छीय 1885 समदड़ी त्रिलोकचंद 1725 की रचना 19वीं जीर्ण / 18सदी की रचनायें 1765 कर्णपुर इंद्रसागर 53, (पहिला प. कम) 1786 जैसलमेर खींवराज 18वीं 20वीं 11 53 1892 बालोतरा विवेकसागर 184 सामान्य प्रा.सं. के उद्धरण सह गुणानामपिचयोपेतं महामुरुन् 20aff 1726 की कृति 1906 नागौर मूलचंद प्रा. उद्धरण से भरपूर 1716 उग्रसेनपुर पद्मभृंग 1722 बगड़ी तिलकसागर किञ्चित अपठनीय 1741 x रामचंद्रगणि साथ में जीवविचारभी संशोधित / 1752 की कृति
SR No.018081
Book TitleBadmer Aur Mumbai Hastlikhit Granth Suchipatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti Jodhpur
PublisherSeva Mandir Ravti Jodhpur
Publication Year1915
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size13 MB
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