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________________ नाम पुस्तक मूल याटीका निर्माण कर्ता विषय पन सम्वत् व्याख्या ज्योतिष जैन धर्म भाषा पदा xx x x x x x x x x x x x ५ १७८७ ले. केशरीसिंह ४ १७२० ,, धर्ममुनि २५२ संस्कृत २४३ त्रिलोकसार भाषाटीका २४४ गुणानुराग २४५ | महावीर जिन स्तवन २४६ तप भेद २४७ रोहणी तप स्तवन शत्रुजय रास शत्रंजय मंडनादि जिन स्तवन भाषाटीका २५० शत्रुञ्जय मंडन रिषभ जिन स्तवन भाषा २५१ रावण मंदोदरी सम्वाद अष्टापद महातीर्थ जिन स्तवन २५३ सम्यक्त्व स्वरूप भाषाटीका २५४ २४ तीर्थकरोंका २१ बोलजिनस्थानक २५५ साधु अतिचार भाषा २५६ त्रिपुरा स्तोत्र २५७ चिन्तामणि पिंगल २५८ माघ काव्य संस्कृत माघकवि २५९ उत्तराध्ययन सत्र भाषा टीका आत्मानुशासन भाषा आचाराङ्ग सत्र अर्थसहित २६२ सयगड़ान सत्र २६३ उत्तराध्ययन मूलपाठ २६४ कल्प सूत्र २६५ निरयावलीकादि सूत्र २६६ आवश्यक सत्र अर्थसहित २६७ सारस्त ब्याकरण पर्वाद्ध संस्कृत २६८ जम्ब पईना अर्थ सहित २६९ सूयगडाँग सत्र २७० भगवती सत्र २७१ | प्रश्न व्याकरण सत्र सटीक २७२ दशवैकालिक सूत्र २७३ संग्रहणी सूत्र पिंगल काव्य — जैनधर्म १९४५ ६८ १९८६ : : XXXx x x x x x x x x x १९१० व्याकरण जैनधर्म मूल पाठ २५१ १७६४ १०२
SR No.018079
Book TitleMahavir Jain Vidyalay Dellhli Ke Hastlikhit Grantho Ka Suchipatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Pustakalay
PublisherMahavir Jain Pustakalay
Publication Year1932
Total Pages14
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size4 MB
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