SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 312
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.२४ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९७ मुनिराज जयमालिका, आव भगवतीदास भैया, पुहिं, पद्य, आदिः परमदेव परणांम करि सतगुरु अंतिः भैया० जनम मरन भै नांहि गाथा - १०. १५. पे. नाम. अहिछता पार्श्वनाथछंद, पृ. ५२आ-५३अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-अहिच्छत्रा, श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, वि. १७३१, आदि: अश्वसेन अंगज निलौं वामा; अंति: सुहावनौं पूजै पासकुमार, गाथा-७. १६. पे. नाम. शिष्य छंद, पृ. ५३अ -५३आ, संपूर्ण. " औपदेशिक छंद-मूढशिक्षा, श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि देह सनेह कहा करे देह मरण; अंति: भैया० के समविष्टी होइ, दोहा १२. १७. पे नाम. आध्यात्मिक पद, पू. ५३आ, संपूर्ण. आध्यात्मिक पद-शूची, आव भगवतीदास भैया, पुहि., पद्य, आदि या देही की श्रुचि कहा; अंति: गुण त्यागि जल जलि दीजै, गाथा ४. १८. पे नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५३आ, संपूर्ण श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि अब मैं छाड्यौ पर जंजा, अंति: गुण राजत सोमम रूप विशाल, गाथा-२. १९. पे नाम आध्यात्मिक पद, पृ. ५३आ, संपूर्ण. श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि या घटमैं परमातमा; अंतिः चहे सदा चेतो चित वइया, गाथा-४. २०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५४अ, संपूर्ण. श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि नर देही बहु पुण्य सौं, अंतिः दुल्लभ महा यह गति ठकुराई, गाथा-२. २१. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५४अ, संपूर्ण. श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि: अरे तैं जुयै जनम गमायो रे; अंति: भैया तो कौ कहि समुझायो रे, गाथा-२. २२. पे नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५४अ, संपूर्ण. श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि: जीव कौं मोह महा दुखदाई; अंतिः भइया ज्यौं प्रगटै ठकुराई, गाथा-४. २३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५४अ, संपूर्ण. श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि: जाको मन लागो निज रूप मैं; अंतिः सुखसागर आपु ही आपु लखावै, गाथा-२. २४. पे नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५४ अ-५४आ, संपूर्ण. श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि: नगन दिगंपर मुद्रा धरि कै; अंतिः प्रगटै वहुरिन भौमैं आऊं, गाथा-५. २५. पे नाम. पार्श्वजिन स्तवन- गौडी, पृ. ५४आ, संपूर्ण. " पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, आव, भगवतीदास भैया, पुहि पद्य, आदि गौडी प्रभु पारस पूजिया; अंतिः भाव सौंही पास जगत विख्यात, गाथा-५. २६. पे नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५४आ, संपूर्ण श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि कहा परदेशी की पतियारो मन अंति: भईया आपु हि आपु संभारो, गाथा-५. २७. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५४-५५अ, संपूर्ण. आव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि: ते गहिले भाई ते गहिले; अंति: नातो नरक निगोदि हले, गाथा-३. " २८. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५५अ, संपूर्ण. श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि: छांडि दै अभिमान जीय रे; अंति: इम करम० भैया आपु पिछांन, गाथा-४. २९. पे नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५५अ, संपूर्ण. श्राव. भगवतीदास भैया, पुहिं., पद्य, आदि: एक सुनि जिनशासन कीवतिया; अंति: भैया निज पदगहु निज मतियां, गाथा-४. ३०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५५अ, संपूर्ण. For Private and Personal Use Only
SR No.018070
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 24
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2018
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy