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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.२४ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०५ गुरुगुण लावणी, आव, चंपाराम दीवान, मा.गु., पद्य, बि. १९वी आदि सुमिरि गुर आदि का सरणा; अंति: चंपाराम० भव समुद्र तरणा, गाथा - ३. ३. पे. नाम. महावीरजिन जन्मोत्सव गीत, पृ. १आ - २अ, संपूर्ण. आव. चंपाराम दीवान, पुहिं. पद्य वि. १९वी आदि महावीरजिन जन्मसु दिन सुनि अति: चंपाराम० निते तू उतरे पार, गाथा-७. ४. पे. नाम. धरम चौक, पू. २अ- ३आ, संपूर्ण जयवंत जिनशासन स्तवन, आव, चंपाराम दीवान, पुर्हि, पद्य, वि. १९वी आदि धरम सदा जयवंत जगतमै करता; अंति: चंपाराम अंतिम महावीरं, गाथा १५. ५. पे नाम. जंबूस्वामी गीत, पृ. ४अ ५अ, संपूर्ण. श्राव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १८८३, आदि: श्रीजंबू गुरु चरण पादुका, अंति: चंपाराम० दिरह न गाई, गाथा-१६. ६. पे. नाम, जंबूस्वामी गुरुमंदिर लावणी-मथुरा, पृ. ५अ - ६आ, संपूर्ण. आव. चंपाराम दीवान, पुहिं. पद्य वि. १९वी आदि श्रीजंबूस्वामी को मंदिर अति चंपाराम० करौ सुदिन गानं, " , गाथा - १२. ७. पे नाम औपदेशिक पद सदगुरु, पृ. ६आ. संपूर्ण. श्राव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १९वी, आदि: भला गुरु सोई है जगमैं; अंति: चंपाराम० सफल जन्म ताका, गाथा-४. ८. पे. नाम चेलासरूप पद, पृ. ६आ-७, संपूर्ण " शिष्यस्वरूप पद, श्राव. चंपाराम दीवान, पुडिं, पद्य, वि. १९वी आदि चतुर जोई सतगुर का चेला अति: चंपाराम० जन्म मरन वीता, गाथा-५. ९. पे. नाम. श्रावकसरूप पद, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण. " आवकस्वरूप पद, आव, चंपाराम दीवान, पुडिं, पद्य, वि. १९वी आदि श्रावगी सबही है सच्चा; अंति: चंपाराम० करिनी की चतुराई, गाथा ६. १०. पे. नाम. धरमनाव पद, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय धर्मनाव, श्राव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १९वी आदि वेगि नाव चढना रे प्रानी अंति चंपाराम० तजि जंठा सपना, गाधा १२. - ११. पे नाम औपदेशिक लावणी, पृ. ८- ९अ, संपूर्ण. " औपदेशिक लावणीगुरुवाणी, श्राव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १९वी आदि अरे तू मानि गुरवानी० खिन; अंति: चंपाराम० सदमति की ठानी, गाथा ३. १२. पे नाम औपदेशिक लावणी, पू. ९अ ९आ, संपूर्ण श्राव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १९वी, आदि: बुद्धि शुभ आतम रस माती; अंति: चंपाराम० सिद्धि लोक पावै, गाथा - ९. १३. पे नाम औपदेशिक पद-दान, पृ. ९आ-१०अ संपूर्ण. आव. चंपाराम दीवान, पुहिं., पद्य, वि. १९वी आदि भला है सदा दान देना देस; अति: चंपाराम० परभव सुधापान पीजै, " गाथा-४. १४. पे. नाम सीलमहिमा लावणी, पृ. १०अ संपूर्ण औपदेशिक लावणी- शीलव्रत, आव, चंपाराम दीवान, पुहिं. पद्य वि. १९वी आदि वडा गुन सीलतना जगमै जैसा अंति: चंपाराम सम वडा नही कोई. गाथा ३. o १५. पे. नाम तप उपदेस लावणी, पृ. १०अ १० आ, संपूर्ण For Private and Personal Use Only
SR No.018070
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 24
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2018
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size18 MB
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