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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ($) . कृति/प्रत/पेटांक नाम के बीच : का, की, के, इत्यादि विभक्ति सूचक. (-) .......... प्रत क्रमांक के अंत में छोटे ऊर्ध्वाक्षरों में दुर्वाच्य, अवाच्य, अशुद्ध पाठ - सूचक. (+)......... प्रत क्रमांक के अंत में छोटे ऊर्ध्वाक्षरों में- प्रत की महत्ता सूचक. - इस हेतु प्र. वि. में निम्न सूचनाएँ हो सकती हैं. कर्त्ता कर्त्ता के शिष्य-प्रसिद्ध व्यक्ति द्वारा लिखित, रचना के समीपवर्ती काल में लिखित, संशोधित शुद्धप्राय - टिप्पण युक्त विशेष पाठ, पाठ में सुगमता हेतु विविध प्रकार के चिह्नयुक्त प्रत, यथा- अन्वय दर्शक अंक युक्त, पदच्छेद- संधि सूचक - वचन विभक्ति - क्रियापदसूचक चिह्न आदि वाली प्रत. - . कृति नाम के बाद प्रयुक्त होने पर संयुक्त कृति की पहचान यथा आवश्यकसूत्र सह निर्युक्ति, भाष्य व तीनों की लघुवृत्ति. (#) ......... प्रत क्रमांक के अंत में छोटे ऊर्ध्वाक्षरों में. प्रत की अवदशा, पाठ नष्ट हो जाने से प्रत की उपयोगिता में कमी का सूचक. इस हेतु प्र. वि. में निम्न सूचनाएँ हो सकती हैं. मूल पाठका, टीकादि का, मूल व टीका का, टिप्पणक का अंश नष्ट है. अक्षर फीके पड़ गये हैं, मिट गये हैं, पन्नों पर आमने-सामने छप गये हैं. अक्षर की स्याही फैल गई है. पत्र जीर्णतावश नष्ट होने लगे हैं, हो गये हैं. ********** कृति परिशिष्टों में प्रत क्रमांक के अंत में ऊर्ध्वाक्षरों से प्रत की अपूर्णता सूचक. अपूर्ण, त्रुटक, प्रतिअपूर्ण हेतु. (--) ......... आदिवाक्य अनुपलब्ध. अप............ अपभ्रंश (कृति भाषा) अंति:......... अंतिमवाक्य (कृतिमाहिती) आ............. आचार्य (विद्वान स्वरूप) आदिः........ आदिवाक्य (कृतिमाहिती) उप............. प्रत प्रतिलेखन उपदेशक (प्र. ले. पु. विद्वान ) उपा. . उपाध्याय (विद्वान स्वरूप) ग. गडी. www.kobatirth.org ******... ऋ.. ........ ऋषि (विद्वान स्वरूप) क .............. कवि (विद्वान स्वरूप) कुं.. कुल ग्रं. ....... कुंडली (कृति स्वरूप) .मूल व टीका आदि का संयुक्तरूप से सर्वप्रथाग्र परिमाण प्रत व पेटाकृति विशेष में. कुल पे. ....... कुल पेटाकृति (प्रतमाहिती स्तर) क्रीत............प्रत को खरीदनेवाला. (प्र. ले. पु. विद्वान ) गा. * प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत * कृति नाम के अंत में विभिन्न अज्ञात विद्वान कर्तृक, अनेक अस्थिर टबार्थ व श्लोक संग्रह जैसी समान कृतियों के समुच्चय रूप या फुटकर कृति दर्शक संकेत. को............. कोष्टक (कृति स्वरूप) ....... गणि (विद्वान स्वरूप) ...........गडी किए हुए पत्रों वाली प्रत. गद्य........... गद्यबद्ध (कृति प्रकार) . गाथा (कृति परिमाण) . गुजराती (कृति भाषा) गुटका......... बंधे पत्रों वाली प्रत. (प्रतमाहिती स्तर) क्वचित् गोटका शब्द भी प्रयुक्त होता है. V गु. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only
SR No.018067
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2016
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size22 MB
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