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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७७ हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१५ ६०५१९. (+#) नारचंद्रज्योतिष सह यंत्रकोद्धार टिप्पण, संपूर्ण, वि. १८७७, ज्येष्ठ कृष्ण, ७, गुरुवार, मध्यम, पृ. ४४, प्रले. मु. हुकमचंद ऋषि (गुरु मु. किशोरचंद ऋषि); गुपि.मु. किशोरचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पत्र की किनारी खंडित होने के कारण पठनार्थे अस्पष्ट है., पदच्छेद सूचक लकीरें-अन्वय दर्शक अंक युक्त पाठ-टिप्पण युक्त विशेष पाठ. मूल पाठ का अंश खंडित है, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४१२, १६-१९४४१-५३). ज्योतिषसार, आ. नरचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीअर्हतजिनं नत्वा; अंति: च कंठे सताम, श्लोक-५३७, (वि. प्रतिलेखक ने एक गाथा को दो गाथा गिना है.) ज्योतिषसार-यंत्रकोद्धार टिप्पण, आ. सागरचंद्रसूरि, सं., गद्य, आदि: सरस्वती प्रसादेन; अंति: आरोहण मुहर्तम्. ६०५२०. (+#) नारचंद्रज्योतिष सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३९-१(१)=३८, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४११.५, ६४३६-४०). ज्योतिषसार, आ. नरचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: दोषा प्रकीर्त्तिता, श्लोक-४३४, (पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., श्लोक-५ अपूर्ण से है., वि. प्रतिलेखक ने एक श्लोक को दो श्लोक गिना है.) ज्योतिषसार-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: ए राशि दोष कह्यो, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. ६०५२२. योगचिंतामणि सह बालावबोध, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४२-१५(४,११ से २४)=२७, प्र.वि. बालावबोध टबार्थ रूप में लिखा गया है., जैदे., (२६.५४१२, ८४३२-३९). योगचिंतामणि, आ. हर्षकीर्तिसूरि, सं., पद्य, वि. १७वी, आदि: यत्र वित्रासमायांति; अंति: (-), (पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., पित्तविकार लक्षण, श्लोक-९ अपूर्ण तक है व बीच-बीच के पाठांश नहीं हैं.) योगचिंतामणि-बालावबोध, म. मानकीर्ति-शिष्य, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीसर्वज्ञ प्रणम्या; अंति: (-), पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं. ६०५२३. (#) धनंजयनाममाला, संपूर्ण, वि. १७६२, वैशाख शुक्ल, १०, मध्यम, पृ. २४, ले.स्थल. सूर्यपुर (सुरत), पठ. मु. नेमसागर (गुरु मु. रत्नचंद्र, सरस्वतीगच्छ); गुपि.मु. रत्नचंद्र (गुरु मु. श्रुभचंद्र, सरस्वतीगच्छ); मु. श्रुभचंद्र (गुरु मु. अभयचंद्र, सरस्वतीगच्छ); मु. अभयचंद्र (गुरु मु. कुंमदचंद्र, सरस्वतीगच्छ); मु. कुमदचंद्र (गुरु आ. कुंदकुंदाचार्य, सरस्वतीगच्छ); आ. कुंदकुंदाचार्य (सरस्वतीगच्छ), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. कुल ग्रं. २०५०, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४१२, ९४२४). धनंजयनाममाला, जै.क. धनंजय, सं., पद्य, आदि: तन्नमामि परं ज्योति; अंति: शरणोत्तम मंगलान्, श्लोक-२११. ६०५२८. (+) अनेकार्थसंग्रह-कांड-४ से ७, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २०-१(९)=१९, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२७४१२.५, १०x४०). अनेकार्थ संग्रह, संबद्ध, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, वि. १२वी, आदि: (-); अंति: (-), (प्रतिअपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., कांड-७, श्लोक-५५ अपूर्ण तक है.) ६०५२९. (+#) नारचंद्रज्योतिष सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १७२४, ज्येष्ठ शुक्ल, ५, मध्यम, पृ. ४७-२९(१ से २१,२५ से ३१,४४)=१८, अन्य. पं. नेतसीजी; मु. कनकसुंदर-शिष्य, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-प्रतिलेखन पुष्पिका मिटाई हुई है. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२८x१२, ५४३०). ज्योतिषसार, आ. नरचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: रविजासुतीव्र, श्लोक-२९४, (पू.वि. प्रारंभ व बीच के पत्र नहीं हैं., श्लोक-६२ अपूर्ण से है व बीच-बीच के श्लोक नहीं हैं.) ज्योतिषसार-टबार्थ *,मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: बारमइ क्रूर करइ, पू.वि. प्रारंभ व बीच के पत्र नहीं हैं. ६०५३०. (+) नारचंद्र सह टिप्पण, संपूर्ण, वि. १८४५, पौष शुक्ल, ५, गुरुवार, मध्यम, पृ. १८, ले.स्थल. राजपुरा, प्रले. पं. लब्धिकमल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५४११.५, १५४४६). ज्योतिषसार, आ. नरचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीअर्हतजिनं नत्वा; अंति: प्रकीर्तिता, श्लोक-२९४. ज्योतिषसार-यंत्रकोद्धार टिप्पण, आ. सागरचंद्रसूरि, सं., गद्य, आदि: सरस्वतीं नमस्कृत्य; अंति: यंत्रकोद्धारटिप्पनम्. ६०५३१. (#) अभिधानचिंतामणि नाममाला व चूडी चक्र, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १७, कुल पे. २, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५४१२,१४४२९). For Private and Personal Use Only
SR No.018061
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2013
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size11 MB
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