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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 200 72001 www.kobatirth.org Fa @ पी000 प्रस्तुत खंड सौजन्य श्री भवानीपुर मूर्तिपूजक जैन श्वेतांबर संघ ११ए, हैसाम रोड, भवानीपुर, कोलकाता - ७०००२० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only loha अति प्राचीन चमत्कारिक महाप्रभावक संप्रति महाराज के समय के मूलनायक श्री मनमोहन पार्श्वनाथ भगवान आदि जिनबिंबों की प्रतिष्ठा विक्रम संवत २०२६ ई. सन् १९७० में वर्धमान तपोनिधि आचार्यश्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म. सा. के करकमलों द्वारा नूतन जिनालय में हुई. साथ ही सुंदर धर्म आराधना करने के लिये विशाल उपाश्रय, साध्वीजी भगवंतों के लिए उपाश्रय एवं अतिथि निवास का निर्माण किया गया है. पूज्य राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से श्री रत्नत्रयी आराधना भवन का निर्माण किया गया है. पूर्वोत्तर भारत में कोलकाता महानगर महत्वपूर्ण एवं अति उत्तम स्थान बना हुआ है. श्री संघ का विकास खूब त्वरित गति से हो रहा है. आयंबिलशाला, पाठशाला आदि का सुंदर आयोजन चल रहा है. इस महानगर में कई भव्यातिभव्य चातुर्मासों का आयोजन भी हुआ है. देवद्रव्य, ज्ञानद्रव्य, जीवदया आदि की आर्थिक स्थिति खूब सुदृढ़ है. भारत भर के तीर्थ क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार आर्थिक सहयोग किया जाता है. श्री भवानीपुर संघ के सत्कार्यों की महक चारों दिशाओं में फैल रही है. पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंत भी इस क्षेत्र को उत्तम स्थान के रूप में प्राथमिकता प्रदान करते हैं. इस क्षेत्र में आने वाले तीर्थ यात्रियों-दर्शनार्थियों को इस भव्य मंदिर के दर्शन का लाभ अवश्य लेने जैसा है.
SR No.018056
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2012
Total Pages614
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size12 MB
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