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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गृही. गोल ग्रं. जै.. जै. क. जैदे. ते. दत्त. दि. देना पं. पं. पठ. प+ग पद्य. पा. पु. हिं. प्र. वि. पूर्व. ********.. पृ. पे. नाम. पे. वि. पै... .......... प्र. वि. प्रले. प्र. ले. प्रा. प्र.ले. श्लो. गृहीत. आदान-प्रदान में प्रत को प्राप्त करने वाला (प्र. ले. पु. विद्वान ) . गोल कुंडलाकार प्रत. (प्रतमाहिती स्तर) ग्रंथाग्र (कृति परिमाण) . जैन कृति (कृति परिशिष्ट) जैन कवि (विद्वान स्वरूप) जैन देवनागरी (प्रत लिपि) ....जैन श्वेतांबर तेरापंथी कृति. (कृति परिशिष्ट) . आदान-प्रदान में प्रत देनेवाला. (प्र. ले. पु. विद्वान) . जैन दिगंबर कृति. (कृति परिशिष्ट ) ... देवनागरी (प्रत लिपि) www.kobatirth.org पंजाबी (कृति भाषा) पंन्यास, पंडित (विद्वान स्वरूप) पठनार्थ. जिसके पढ़ने हेतु प्रत लिखी या लिखवाई गई हो. (प्र. ले. पु. विद्वान ) पद्य व गद्य संयुक्त (कृति प्रकार ) . पद्यबद्ध (कृति प्रकार) . पाठक (विद्वान स्वरूप ) . पुरानी हिंदी (कृति भाषा ) . पूर्णता विशेष (प्रतमाहिती, पेटाकृति माहिती व कृतिमाहिती स्तर) . कृतिमाहिती में वर्ष प्रकार सूचक 'वि.' 'श.' आदि के बाद संवत् प्रवर्तन के पूर्व का वर्ष दर्शक. पृष्ठ सूचना (प्रत माहिती स्तर पर व पेटाकृति स्तर पर ) . पेटाकृति नाम . पेटाकृति विशेष . पैशाची प्राकृत (कृति भाषा ) प्रत विशेष, प्रतिलेखक लहिया, Scribe (प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रत, पेटाकृति, कृति माहिती स्तर पर.) पु. ..... प्रतिलेखन पुष्पिका की - ( प्रत / पेटाकृति / कृति स्तर) ('सामान्य, मध्यम आदि उपलब्धता सूचक.) . प्रत, पेटाकृति व कृति हेतु प्रतिलेखक द्वारा लिखित प्रतिलेखन श्लोक ( जलात् रक्षेत् .... इत्यादि) .. प्राकृत (कृति भाषा ) vii प्रे. बौ. म. महा. मा. मा. गु. . मारुगुर्जर (कृति भाषा ) मु. . मुनि (विद्वान स्वरूप) मु. . मुस्लिम धर्म (कृति परिशिष्ट ) मूपू. यं. रा. रा. राज्ये. वा. वि. . राजस्थानी (कृति भाषा ) राज्यकाल ..... जिस राजा के राज्य शासनकाल में प्रत लिखी गई हो. . जिस आचार्य के गच्छनायकत्व काल में प्रत का लेखन हुआ हो. . प्रत लिखवाने वाला. (प्र. ले. पु. विद्वान) . लेखन स्थल (प्रतिलेखन पुष्पिका) वाचक (विद्वान स्वरूप ) ******... लिख ले. स्थल....... विक्र. वी. वै. व्याप. श. श्राव. श्रावि. श्रु.. श्वे. सं. सम. सा. स्था. हिं. प्रतलेखन प्रेरक (प्र. ले. पु. विद्वान) . बौद्ध कृति (कृति परिशिष्ट) . मराठी (कृति भाषा ) महाराष्ट्री प्राकृत (कृति भाषा ) .मागधी प्राकृत (कृति भाषा ) ......... For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक कृति (कृति परिशिष्ट) . यंत्र (कृति स्वरूप) राजा (विद्वान स्वरूप) .विक्रम संवत् (वर्ष माहिती) (प्रे. ले. पु.. कृति रचना वर्ष ) . विक्रेता प्रत का. (प्र. ले. पु. विद्वान ) .. वर्ष संख्या के पूर्व होने पर 'वीर संवत यथा वी. २००० वर्ष संख्या पश्चात् होने पर 'वी सदी'. यथा- ८वी सदी. (७१०-८००) (प्र. ले. पु.. कृति रचना वर्ष ) वैदिक कृति (कृति परिशिष्ट) • व्याख्याने पठित - विद्वान द्वारा. (प्र. ले. पु. विद्वान) शक संवत् (वर्ष माहिती प्र. ले. पु.) . श्रावक (विद्वान स्वरूप ) श्राविका (विद्वान स्वरूप) . श्रोता द्वारा व्याख्यान में श्रुत. (प्र. ले. पु. विद्वान ) . जैन श्वेतांबर कृति (कृति परिशिष्ट ) . संस्कृत (कृति भाषा ) • समर्पक ज्ञानभंडार को प्रत समर्पित करनेवाला. . (प्र. ले. पु. विद्वान ) साध्वीजी (विद्वान स्वरूप) जैन श्वेतांबर स्थानकवासी (कृति परिशिष्ट) ...हिंदी (कृति भाषा )
SR No.018056
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2012
Total Pages614
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size12 MB
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