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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रमणिका मंगलकामना समर्पण .. समपण ...................................... प्रकाशकीय ... .................................॥ प्राक्क थन .......... .................IV अनुक्रमणिका. ............। प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत ..........vi-vii हस्तप्रत सूचीकरण सहयोग सौजन्य. .........vili हस्तप्रत सूची.. .......१-४८९ परिशिष्ट : कृति परिवार अनुसार प्रत-पेटाकृति अनुक्रम संख्या....................... ४९०-५९६ १. संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १ ..... .............४९०-५१९ २. देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २.... ...............५२०-५९६ इस सूचीपत्र में हस्तप्रत, कृति व विद्वान/व्यक्ति संबंधी जितनी भी सूचनाएँ समाविष्ट की गई हैं, उन सबका विस्तृत विवरण व टाइप सेटिंग संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ vi एवं परिशिष्ट परिचय संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ ४५४ पर है. कृपया वहाँ पर देख लें. प्रस्तुत खंड १० में निम्नलिखित संख्या में सूचनाओं का संग्रह है. 0 प्रत क्रमांक - ३९०५१ से ४३४६० ० इस सूचीपत्र में मात्र जैन कृतियों वाली प्रतों का ही समावेश किए जाने के कारण वास्तविक रूप से ३४९० प्रतों की सूचनाओं का समावेश इस खंड में हुआ है. ० समाविष्ट प्रतों में कुल ३४४२ कृति परिवारों का समावेश हुआ है. ० इन परिवारों की कुल ३७२१ कृतियों का इस सूची में समावेश हुआ है. ० सूची में उपरोक्त कृतियाँ कुल ६१२६ बार आई हैं. For Private and Personal Use Only
SR No.018056
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2012
Total Pages614
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size12 MB
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