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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir प्रखर श्रुतोपासक, संघ हितचिंतक व विशिष्ट कोटि के त्यागी सुश्रावक स्व. श्री जौहरीमलजी पारख (सेवा मंदिर, रावटी, जोधपुर) के द्वारा तैयार किये गये सूचीकरण के पैमाने को ही जरुरी फेरफार के साथ यहाँ पर अपनाया गया है. हम उनके लिए श्रद्धा सुमन सहित आभार व्यक्त करते हैं. इस सूचीकरण अवधारणा को और विकसित करने में तथा कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के कार्य में ग्रंथालय विज्ञान की प्रचलित प्रणालियों के स्थान पर महत्तम उपयोगिता व सुझबूझ का उपयोग करने में तथा समय-समय पर सहयोगी बनने हेतु यहाँ के पंडितजनों तथा प्रोग्रामरों ने अपनी शक्तियों का यथासंभव महत्तम उपयोग किया है. जिसके लिए संस्था सभी की अनुमोदना करते हुए हार्दिक धन्यवाद देती है. कैलास श्रुतसागर ग्रन्थसूचीगत जैन हस्तलिखित साहित्य के इस द्वितीय व तृतीय खंड को प्रस्तुत रूप देने में संस्था के सभी विभागों व खासकर ज्ञानमंदिर कार्यकारिणी समिति के सदस्य श्री मोहितभाई सोमचंद शाह, प्रशासनिक अधिकारी श्री जयेन्द्रभाई पी. संघाणी, जनसंपर्क अधिकारी श्री रसिकभाई शाह आदि सभी कार्यकर्ताओं का प्रशंसनीय सहयोग प्राप्त हुआ है, जिसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं. सभी के मिले जुले समर्पित सहयोग के बिना यह विशालकाय कार्य संभव नहीं था. ___ संस्था में हस्तप्रत सूचीकरण व संलग्न अन्य विविध प्रवृत्तियों हेतु भारत व विदेश के श्रीसंघों, संस्थाओं व महानुभावों का आर्थिक सहयोग यदि नहीं मिल पाता तो यह कार्य आगे बढ़ाना मुश्किल था. समस्त चतुर्विध संघ तथा संस्था के सभी शुभेच्छुकों को इस अवसर पर धन्यवाद दिया जाता है. __ कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची- जैन हस्तलिखित साहित्य के इस द्वितीय खंड के प्रकाशन में वित्तीय सहयोग प्रदान करने वाले श्री जैन श्वेतांबर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ व उनके पदाधिकारियों के प्रति संस्था कृतज्ञता व्यक्त करती है. किसी भी प्रकार के सरकारी या इसी तरह के अन्य अनुदान को न लेकर मात्र समाज की ही ओर से मिलनेवाले आर्थिक आदि सहयोग के द्वारा ही कार्य करने की सुविचारित नीति के तहत कार्य करने के कारण यहाँ सम्पन्न हो रहे कार्यों की अपनी मर्यादाएँ हैं तो अपना एक गौरव एवं तोष भी! श्रीसंघ के इस कार्य में देव-गुरु-धर्म की कृपा से हम कितने सफल हुए हैं, इसके लिए विशिष्ट गुरु भगवंतों एवं विश्वभर के विद्वानों ने यहाँ आकर यहाँ की व्यवस्था व उपलब्ध सामग्रियों को देखकर जो उद्गार व्यक्त किये हैं, उनका अवलोकन करना होगा. इससे भी ज्यादा तो आप यहाँ पधारिये और स्वयं यहाँ के कार्यों को देखिये. संस्था की विकास यात्रा में आप किस प्रकार से सहयोगी बन सकते हैं, इन संभावनाओं को तलाशिए. वह आपके उत्कर्ष के लिए अनुपम अवसर होगा. यहाँ संस्था में उपलब्ध संसाधनों, सूझ, विशेषज्ञता एवं सज्जता के आधार पर किए जा सकें ऐसे कार्यों की सूची बृहदाकार है. अब इन संभावनाओं को साकार करना यह श्रीसंघ व समाज पर निर्भर है कि उनकी ओर से यहाँ तन-मन-धन से कितना सहकार मिल पाता है. आज तक सभी का यह सहकार संस्था को निरंतर मिलता रहा है व और भी बेहतरीन तरीके से आगे भी मिलना जारी रहेगा, ऐसा हमारा विश्वास है. इसी श्रद्धा के आधार पर यह ज्ञान-यज्ञ हम जारी रखे हुए हैं. हमें विश्वास है कि श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र द्वारा प्रकाशित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि स्मृति ग्रंथसूची के इस द्वितीय रत्न का समाज में स्वागत किया जाएगा. ___ अंत में श्री जिनशासन देव से यही प्रार्थना करते हैं कि श्रीसंघ व समाज द्वारा हमारी ओर रखी गई आशा और अपेक्षाओं को सही तौर पर पूर्ण करने में हम सदा सक्षम व प्रवृत्त रहें. ट्रस्टीगण सुधीरभाई यू. मेहता, कल्पेश जे. शाह, हेमंतभाई सी. ब्रोकर, श्रीपालभाई आर. शाह, गिरीशभाई वी. शाह, सोहनलाल एल. चौधरी, भीखुभाई चोकसी, किरीटभाई कोबावाला, सेवंतीलाल एम. मोरखिया, अरविंदभाई टी. शाह, प्रवीणभाई एन. शाह, चांदमल पी. गोलिया, घीसूलालजी डी. राठोड, खुबीलालजी एल. राठोड, श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र ट्रस्ट कोबातीर्थ, गांधीनगर tu For Private And Personal Use Only
SR No.018025
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2004
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size4 MB
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