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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञानमंदिरस्थ हस्तप्रतों में उपलब्ध संभवित अप्रकाशित कृतियों की सूची आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर के ग्रंथालय में उपलब्ध प्रकाशनों व हस्तप्रतों की अभी तक प्रविष्ट सूची के आधार पर निम्नलिखित हस्तलिखित ग्रंथों के अप्रकाशित होने की संभावना है. यह सूची मात्र उपरी तौर पर ही ढूंढी गई कृतियों की ही है, इनके अलावा भी बड़ी संख्या में मूल ग्रंथ, टीका, अवचूरियाँ, रास आदि साहित्य व लघु अप्रकाशित कृतियाँ मिल सकती है. संस्कृत प्राकृत कृतियाँ १. स्थानांगसूत्र- दीपिका टीका, रचना संवत - १६५९. कर्ता - मेघराज, पार्श्वचंद्रसूरि के शिष्य. प्रत- ११४४४. ले. संवत १७०९. २. उत्तराध्ययनसूत्र की टीका, रचना संवत - १६७५. कर्ता - खरतरगच्छीय पुण्यसागर प्रत - ११९. ले. संवत - १७वी. ३. समवायांगसूत्र की अवचूरि, रचना संवत - १६९९. कर्ता- तपागच्छीय हर्षोदयमुनि के स्व हस्ताक्षरों से लिखित प्रति प्रत- ५२५२. ले. संवत - १६९९. ४. आवश्यकसूत्र, नियुक्ति व भाष्य इन तीनों पर लघुवृत्ति, रचना संवत १२९६. कर्ता चंद्रगच्छीय तिलकाचार्य प्रत ७१५. ले. संवत १५०६. ५. दशाश्रुतस्कंधसूत्र की जनहिता टीका कर्ता नागपुरतपागच्छीय ब्रह्मर्षि (विनयदेवसूरि ). प्रत- ११५५९. ले. संवत १९०३. ६. जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति की टीका, रचना संवत १६७५. कर्ता- खरतरगच्छीय पुण्यसागर प्रत - ११९ ले संवत १७वी. ७. जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति की टीका, कर्ता नागपुरतपागच्छीय ब्रह्मर्षि (विनयदेवसूरि) प्रत- ५७३३२. ले. संवत १७वी. ८. पञ्चाशक की (सं./प्रा.) चूर्णि कर्ता चंद्रसूरि प्रत- १४१९३. ले. संवत १६१८. ९. श्राद्धलघुजीतकल्प सह स्वोपज्ञ टीका, कर्ता- चंद्रगच्छीय तिलकाचार्य. प्रत- ६०३७५. ले. संवत-१४७६. १०. पौषधिकप्रायश्चित्तसामाचारी सह स्वोपज्ञ टीका, कर्ता- चंद्रगच्छीय तिलकाचार्य. प्रत- ६०३७५. ले. संवत - १४७६. ११. बृहत्क्षेत्रसमास नव्य, रचना संवत - १३७३. कर्ता - तपागच्छीय सोमतिलकसूरि. प्रत- ५९३३. ले. संवत - १६वी. १२. बृहत्क्षेत्रसमास जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण कृत का संक्षेप लघुक्षेत्रसमास. प्रत- २१०५६. ले. संवत - १६०४. १३. साधुवन्दित्तुसूत्र की अर्थनिर्णयकौमुदी टीका, रचना संवत - १३६४. कर्ता- खरतरगच्छीय जिनप्रभसूरि. प्रत- ३१५४६. ले. संवत - १६वी. १४. सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टम अध्याय की व्युत्पत्तिदीपिका टीका, रचना संवत १६\१७वी. कर्ता बृहत्तपागच्छीय उदयसौभाग्य प्रत - १२८७० ले संवत - १६२५. १५. सिद्धहेमप्राकृत व्याकरण तहत अपभ्रंश व्याकरण की स्वोपज्ञ वृत्तिगत उदाहृत दोधक टीका की दोचकव्याख्यालेश टीका, कर्ता तपागच्छीय सुमतिरत्न प्रत- ६४०३४. ले. संवत १६४७. १६. श्रीपालनरेन्द्र चरित्र रचना संवत - १५७२. कर्ता- तपागच्छीय कमलचारित्र के शिष्य चारित्रविजय (विजयचारित्र ?). प्रत- ३५६८. ले. संवत १५७८. १७. शान्तिनाथ चरित्र, रचना संवत १३२२. कर्ता मुनिदेवसूरि (देवचंद्रसूरि कृत प्राकृत भाषा निबद्ध शांतिनाथ चरित्र पर आधारित. कनकप्रभ के शिष्य प्रद्युम्न द्वारा शंसोधित) प्रत - ६०४७८. ले. संवत - १५वी. १८. मेघाभ्युदय काव्य सह अवचूरि, कर्ता - मानांकसूरि श्लोक-३६. प्रत- ३१११८. ले. संवत - १७वी. १९. वृंदावन काव्य सह अवचूरि, कर्ता - पूर्णतल्लगच्छीय शांतिसूरि श्लोक - ५२. प्रत- ३१११८. ले संवत - १७वी. २०. भावशतक सह स्वोपज्ञ अवचूरि, रचना संवत - १६३४. कर्ता - तपागच्छीय हेमविजय प्रत- ३३४६. ले. संवत - १७वी. २१. भक्तामर स्तोत्र की बालहितैषिणी टीका, रचनासंवत १६५२. कर्ता तपा. कनककुशल प्रत १३६८८. ले. संवत १६६३. २२. अमरुशतक की शृङ्गारदीपक टीका कर्ता कोमटि भूपाल प्रत- ५७९०७. ले. संवत १७६७. 31 For Private And Personal Use Only
SR No.018024
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2003
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size5 MB
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