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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हस्तप्रतों की इस दुर्लभ विरासत में मात्र धर्मों, तत्वज्ञान या साहित्य के महत्व की ही प्रतें नहीं है अपितु आयुर्वेद, ज्योतिष, कला, शिल्प स्थापत्य व विविध साधना पद्धतियों का भी गहन ज्ञान इसमें छिपा पड़ा है. हस्तप्रतों के अंत में रही प्रतिलेखन पुष्पिका एवं कृतियों के अंत में रही रचना प्रशस्तियों में भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं आदि के संबंध में ठोस साक्ष्य भरे पड़े हैं. इस तरह यह सूची भारत के प्राचीन गौरव व धार्मिक, सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करने में अनुपेक्षणीय आधार का कार्य करेगी. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस सूचीपत्र में हस्तप्रत, कृति व विद्वान / व्यक्ति संबंधी जितनी भी सूचनाएँ समाविष्ट की गई है उन सब का विस्तृत ब्योरा, टाइप सेटिंग संबंधी सुचनाएँ पृष्ठ ३३ से दी गई हैं एवं प्रयुक्त संकेतों का स्पष्टीकरण पृष्ठ ३९ से दिया गया है. आभार : समग्र कार्य दौरान पूज्य आचार्यदेव श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी की ओर से मिले प्रेरणा व प्रोत्साहन ने इस जटिल कार्य को करने में हमें सदा उत्साहित रखा है. साथ ही पूज्यश्री के शिष्य - प्रशिष्य की ओर से भी हमें सदा सहयोग व मार्गदर्शन मिलता रहा है हम पूज्यश्री एवं उनके शिष्य मंडल के चरणों में श्रद्धावनत हैं. 4 हस्तप्रतों को पढ़ने तथा लिपियों का पंडितजनों को सम्यक् अभ्यास कराने तथा समय-समय पर सलाह देने हेतु पूज्य पुण्यविजयजी की वरद कृपा प्राप्त वयोवृद्ध लिपि व पाण्डुलिपि विशेषज्ञ श्री लक्ष्मणभाई हीरालाल भोजक के प्रति हम आभार व्यक्त करना चाहते हैं. मुद्रित ग्रंथों के आधार पर कृति संपादन हेतु श्री रामप्रकाश जगदीश झा, श्री मनीष रमणलाल पारेख तथा प्रतों की विविध प्रकार की प्राथमिक सूचनाएँ कम्प्यूटर पर प्रविष्ट करने एवं प्रत विभाग में विविध प्रकार से सहयोग करने हेतु श्री संजय सोमाभाई गुर्जर तथा ग्रंथालय विभाग के अन्य सभी सहकार्यकरों को त्वरा से संदर्भ पुस्तकें तथा प्रतें उपलब्ध कराने हेतु हार्दिक धन्यवाद. जीर्ण, चिपकी व फफुंदग्रस्त आदि हस्तप्रतों के पुनरुद्धार एवं रख-रखाव के कार्यों में सहयोगी बननेवाले सम्राट संप्रति संग्रहालय के श्री आसीत वस्तुपालभाई शाह को भी हम धन्यवाद ज्ञापन करते हैं. इस अवसर पर संस्था के भूतपूर्व कार्यकर्तागण पंडित श्री दिलीपभाई वाडीलाल शाह, श्री जिगरभाई कीर्तिभाई धामी, प्रोग्रामर श्री प्रितेनभाई कुमुदभाई शाह व श्री जिज्ञेशभाई सुरेनभाई शाह सहित प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हुए सभी महानुभावों को उनके द्वारा किए गये कार्यों तथा प्रदत्त सहयोग हेतु धन्यवाद दिया जाता है. हस्तप्रतों के सूचीकरण परियोजना के व्यवस्थापन में समय-समय पर अपना सक्रिय सहयोग तथा मार्गदर्शन देने हेतु श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र के ट्रस्टियों में से विशेष रूप से सक्रिय संस्था के प्रमुख श्री सोहनलालजी लालचंदजी चौधरी, सुश्रावक श्री शांतिकाका (शांतिलाल मोहनलाल शाह), श्री हेमन्तभाई चीमनलाल ब्रोकर, श्री चांदमलजी पारसमलजी गोलिया, श्री भीखुभाई चीमनलाल चोकसी, श्री किरीटभाई कोबावाला, श्री कल्पेशभाई जयन्तीलाल शाह व स्व. उदयनभाई रसिकलाल शाह आदि एवं इस कार्य के अन्य सभी प्रत्यक्ष परोक्ष सहयोगियों व शुभेच्छकों को इस अवसर पर संपादक मंडल हार्दिक आभार व्यक्त करता है. प्रस्तुत सूची में यदि कहीं पर कोई अच्छाईयाँ हैं तो उनका यश इस सूची की मूल संकल्पना के प्रदाता श्राद्धवर्य श्री जौहरीमलजी पारेख एवं जैन सूचियों के पूर्व प्रणेता पूज्य मुनि श्री चतुरविजयजी महाराज ( लीम्बडी सूची), आगम प्रभाकर मुनिप्रवर श्री पुण्यविजयजी महाराज (जेसलमेर आदि के सूचीपत्र), अप्रतिम प्रतिभा के धनी आगम संशोधक पूज्य मुनिप्रवर श्री जम्बूविजयजी महाराज (जेसलमेर, पाटण के नूतन सूचीपत्र), चिमनलाल डाह्याभाई दलाल (बरोडा से प्रकाशित पाटण का पुराना सूचीपत्र), विद्वान श्राद्धवर्य हीरालाल रसिकलाल कापडीया (भाण्डारकर ऑरिएन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट पूना की जैन हस्तप्रतों के सूचीपत्र) आदि को समर्पित है कि जिनके अनुभवों का लाभ हमें मिल सका है. यदि कहीं पर कमियाँ है तो वे हमारी मर्यादाओं की वजह से हैं. उनकी जिम्मेदारी हमारी हैं. 8 सुचीकरण का यह कार्य पर्याप्त सावधानी पूर्वक किया गया है फिर भी जटिलता एवं अनेक मर्यादाओं के रहते क्वचित भूलें रह भी गई होंगी. इन भूलों के लिए व जिनाज्ञा विरूद्ध किसी भी तरह की प्ररूपणा के लिए हम त्रिविध मिच्छा मि दुक्कडम् देते हैं. विद्वानों से करबद्ध आग्रह है कि इस प्रकाशन में रही भूलों हेतु हमारा ध्यान आकृष्ट करें एवं इसे और बेहतर बनाने हेतु अपने सुझाव अवश्य भेजें, जिससे अगली आवृत्ति व अगले भागों में यथोचित सुधार किए जा सकें. -संपादक मंडल . For Private And Personal Use Only -
SR No.018024
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2003
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size5 MB
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