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________________ कोलम-२ में पंजीयन क्रमांक अर्थात् लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर के हस्तप्रत संग्रह के रजिस्टर में दर्ज किए गए नंबर हैं । एक से अधिक हस्तप्रत एक ही क्रमांक पर सूचित हो तो इसके लिए क्रमांक के पश्चात् स्लेश देकर १-२-३ आदि संख्याएँ दर्शाई गई हैं । कोलम-३ में ग्रंथ के नाम दर्शाए गए हैं । हमने इस कोलम में ग्रंथों के नाम अकारादि क्रम से दिए हैं जिससे कोई भी विद्वान या जिज्ञासु अपने इष्ट ग्रंथ की जानकारी क्रमानुसार प्राप्त कर सकता है। हमने अलग से ग्रंथों का अकारादि क्रम न देकर यहीं उसका अकारादि क्रम दिया है । जिससे ग्रंथ का आकार कुछ हद तक सीमित रह सका है । कोलम-४ में भिन्न भिन्न ग्रंथों के पत्रों की संख्या का वर्णन किया गया है। जो स्वतंत्र कृति है उसके कुल पत्रों की संख्या दी गई है । जिस में एक से अधिक संख्या में ग्रंथ उपलब्ध होते हैं वहां किस पत्र से किस पत्र तक कौन-कौन से ग्रंथ हैं उसका उल्लेख किया गया कोलम-५ में भाषा का विवरण दिया गया है । गु. अर्थात् गुजराती, प्रा. अर्थात् प्राकृत, हिं अर्थात् हिन्दी, सं. अर्थात् संस्कृत, एक से अधिक भाषा में वर्णित ग्रंथों में उन-उन भाषाओं का उल्लेख भी किया है यथा प्रा.सं. अर्थात् प्राकृत एवं संस्कृत भाषा युक्त ग्रंथ है । कोलम-६ में विषय का वर्णन दिया गया है । इस कोलम में हमने प्रायः सभी विषयों को पूर्ण रूप में देने का प्रयास किया है। इससे संशोधकों तथा जिज्ञासुओं को अपने विषय के ग्रंथ की जानकारी उपलब्ध करने में सविद्या हो सकती है। कोलम-७ में ग्रंथकार के नाम का उल्लेख किया गया है। जहाँ ग्रंथकार का नाम प्राप्त नहीं होता वहां हमने खाली जगह छोड दी है। कोलम-८ में ग्रंथ का प्रमाण दर्शाया गया है। गा. से गाथा का परिमाण दर्शाया गया है और जहाँ केवल संख्या का निर्देश किया है वहां श्लोक प्रमाण संख्या समझनी चाहिए । कोलम-९ में हमने पुनः क्रमांक संख्या दी है जिससे सम संख्या के पृष्ठ पर जिस ग्रंथ के विषय में विवरण प्राप्त करना प्रारंभ किया हो उसी क्रम के ग्रंथ के विषय में आगे की जानकारी प्राप्त करने में सुविधा रहे । कोलम-१० में ग्रंथ के परिमाण का निर्देश किया गया है। उस में पोथी का परिमाण सेन्टीमिटर में दर्शाया गया है; जो लंबाई और चौडाई को स्पष्ट करता है । कोलम-११ में रचनावर्ष दर्शाया गया है । जिस कृति के रचनावर्ष का स्पष्ट उल्लेख प्राप्त होता है उसके सामने वर्ष का उल्लेख किया गया है और जहाँ रचनावर्ष का स्पष्ट उल्लेख प्राप्त नहीं होता उन उन ग्रंथों के सामने रचनावर्ष खाली छोड दिया गया है । प्रथम परिशिष्ट में ग्रंथकर्ता नामानुक्रमणिका में ग्रंथकार के नामों को अकारादि क्रम से प्रस्तुत किया गया है । ग्रंथकार, क्रमांक एवं ग्रंथनाम तीन कोलम में विभक्त प्रस्तुत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018022
Book TitleCatalogue of Manuscripts L D Institute of Indology Collection Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2003
Total Pages638
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size12 MB
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