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________________ ग्रंथान विशेष नोंध पत्र १९५.२०४,२२२ थी २२७ नथी. पत्र २६४नो टुकडो छे तथा पत्र ६६-६७ मेगा छे. १४०० .......२३९ ३१२ ........३१२ जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांका ग्रंथर्नु नाम | भाषा संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी. ३०९ ... हैम अनेकार्थकोश अनेकार्थकैरवाकर कौमुदीटीकासह प्रथमखंड ...............मू.क.हेमचंद्राचार्य, त्रिस्वरकांड १२६ श्लोक पर्यन्त ......... टी.क.महेन्द्रसूरि .........सं............. १४००/...........३३६ ............३०९ .......१७६ ३१०... हैम अनेकार्थकोश अनेकार्थकरवाकर- ...मू.हेमचंद्राचार्य, ............. सं. ............ १३००/...........२६४ .३१०.......१७७ कौमुदीवृत्तिसह वृ.महेन्द्रसूरि ... द्विस्वरकाण्ड पर्यंत प्रथमखंड अपूर्ण ३११.... हैम अनेकार्थकोश अनेकार्थकैरवाकर- ...मू.क.हेमचंद्राचार्य, कौमुदीवृत्तिसह ......................... वृ.क.महेन्द्रसूरि ......... ......१७७ त्रिस्वरकाण्ड द्वितीय खंड हैम अनेकार्थकोश अनेकार्थकैरवाकर- मू.क.हेमचंद्राचार्य, कौमुदीवृत्तिसह तृतीयखंड ............ वृ.क.महेन्द्रसूरि ... .......... सं. ............ १२८६ ...........१३४ .......१७७ चतुःस्वरकाण्डं से अंत पर्यंत ३१३/१ अभिधानचिंतामणिनाममाला स्वोपनवृत्तिसह चतुर्थकांड. .........., हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ ........ ३१३/२अभिधानचिंतामणिनाममाला स्वोपज्ञवृत्तिसह पंचमषष्ठकांड हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ १३०० ............ ३१४/१/ जयदेवछंदःशास्त्र. जयदेव ... .. १९९० ३१४/२/जयदेवछंदाशास्त्र वृत्तिसह ...............मू.क.जयदेव, वृ.क.हर्षट |.. १३००/- ....१-५५ ३१४/३ | कइसिट्ठछंदःशास्त्र प्राकृत गाथाबद्ध .... विरहाङ्क ... ५६-८९ ३१४/४ कइसिवछंदाशास्त्रवृत्ति . भट्ट गोपाल. .... १३०० ९०-१८३ ३१४/५/ छंदोनुशासन ......... ............ ११९२ ३१४/६ वृत्तरत्नाकर .............. ............. भट्ट केदार .... ........... १४००.. ........... छंदोनुशासन स्वोपज्ञ छंदवूडामणिवृत्तिसह ................. हेमचन्द्राचार्य स्वोपज्ञ ....... ३१६/१, कल्पलताविवेक (कल्पपल्लवशेष) तृतीयपरिच्छेद अपूर्ण पर्यत .... .. १३००... .......२५९ कल्पलताविवेक (कल्पपल्लवशेष) चतुर्थ परिच्छेद .............. ... १३००...........१४८.............३१६ .......१७९ ......... २६३० - पत्र १२७मुं नथी .... ११२०/पत्र ६५.६६ नथी. .... १० जयकीर्तिसूरि .......२८ .... पत्र १० मुं नथी ३१५... १४९० .....४१०० ........३१६ पत्र ७ थी ९.१७ नथी. Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org.
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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