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________________ | भाषा संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्ष ग्रंथान विशेष नोंध सी.डी. .......१६९ .......१६९ ... १६०० .........,७२० आ प्रतिना अक्षरो घसाई गया छे .. १४०० .......... .......१६९ पत्र १०७ नथी. ..... १३०८ ........... ............२८६.......१७० २८७... . १४११|........... F......१७० ...................२७०,........... ............. पत्र १८९ थी १९९ एक पत्र पर ज छे. जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम २८४/१/तपोटमतकुट्टनशत .................... जिनप्रभसूरि ......... २८४/२ तपोटर्षिमतखंडन स्वोपज्ञवृत्ति सह ...... गुणप्रभसूरि ...... २८५... कातंत्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्ति विवरणपंजिका टिप्पणी सह ............ त्रिलोचनदास ... तद्धितपाद पर्यंत अपूर्ण कातंत्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्ति विवरणपंजिका-आख्यातवृत्ति ............ त्रिलोचनदास कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति विवरणपंजिका-आख्यातवृत्ति तथा कृवृत्ति .................. ...त्रिलोचनदास ....... २८८/१ कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति ....... विवरणपंजिका-आख्यातवृत्ति ............ त्रिलोचनदास ....... २८८/२ कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति | विवरणपंजिका-कृदवृत्ति .................. त्रिलोचनदास ....... २८९ ... कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति दुर्गपदप्रबोध प्रबोधमूर्ति गणि ..... २९०/१, कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति पंचसंधिपर्यंत अपूर्ण. .......... विजयानंद .......... २९०/२ कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति नामद्वितीयपादपर्यंत टिप्पणी सह ........ क.विजयानंद २९०/३/कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति- कारकप्रकरण विजयानंद ...... कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति तद्धितप्रकरण पर्यन्त .................. विजयानंद .......... पंचग्रंथी बुद्धिसागरव्याकरण ............. बुद्धिसागरसूरि ...... २९३ .... | सिद्धहमशब्दानुशासन बृहवृत्ति सप्तमाध्याय ....... ... हेमचन्द्राचार्य........ २९४ ... सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहवृत्ति आख्यातवृत्ति तथा कृवृत्ति .. ............ १४००/--.........१६४ सं.र.१३२८-ले.१४००.......... F......१७० ................. पत्र ५९.६०,१६० नथी .... ७४९१ १२४५ - ...... २९०(१२) २९०(१-२) ........... १२४५/ ............ १४००.......... र.१०८०-ले.१३०० ........... ........२९१ ...... ....... १७२......... ७००० - पत्र २०१,२४८,२५३ नथी २१२... सं. ............ १४००/-....... .. १७३/१ हेमचन्द्राचार्य ............ १४०० ...........२७७ .............२९४ [..१७३/१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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