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________________ दशकन्धर मुजा............. पशन दिशि दीप......दुःख.... ............२७ । दशरथ पुत्र दशा 2061 हिज.................१,२,३२ द्विजय................. विजराज...................... द्विप......................८,१८ द्विरद्... द्विष. 9 .२० दख..............--- दुर्गति .. ध्यमणि . रहन दाक्षायणी प्राणेश दानवारि. इहद होप.. देषण ... धुक्तारा... नक्षत्र.. नक्षत्रेश.. नख.......... नखर ...... नखत्र.... नदीकूल .. नदी तट.. नदो द्वार...... नदी नाथ.... तीर्थ दिकुम्भी दिक्पति दिक्पाल धन्या ५७६ - संख्या सूचक शब्द संकेत - परिशिष्ट-९ जीव........................१.६ तारक ...................... २७ । त्रिदशा... जीवाजीवोपकरण .........१४ तारण................... .१८ | त्रिदशालय तारा................ त्रिदिव.. जैनपदम............... ताल......... जैवातूक.... तिथि.......... जोधार. तिथि संख्या. त्रिपदी ज्वर... तिस..... त्रिफला ग्वारसुर तोक्षणाशु.... त्रिमौलि. ज्वलन तीनलोक त्रियम्बक... ज्ञाताध्याय, त्रियामायाम ज्ञान जियादश.... त्रिरत्र...... त्रिवस्ति .... सुला .. त्रिविष्टप.. तत्व...... तूड.... त्रिशरानेत्र नाराणी....... तैतिल.. त्रिशिरा तनुवात. तोयधि.. त्रिशूल ..... तनूनपात ................... वेत. तन्तुसायक................... ५ जयत्रिश्त् ....................३३ दंश. तपन....................१,३, १२ त्रयोविंशति.. दण्ड तपस्वी .......................७ दण्डधर तपोधा ............. प्रिकट....................... दधि.. त्रिकाल.................. दन्त ....८,३२ त्रिकट......... ...... दन्तावल त्रिकूटकूट ............ दन्ती... त्रिक्षेप दर्शन .... त्रिगुण त्रिजगत..... ताम्बूल गण दशकन्धरनेत्र ........ देवालय देवीतरा धरणी परती नन्देषु तिथि धरा... धाता. तेनु नयन दिग्गज दिदुरित. दिन दिनकर दिनकृत ..................... दिननायक.. दिनमणि. दिनेश ..... दिव्.. नयस सन्तान ................७ दो..... दोर ..... दोष. धात्री..... धान्य .. धान्यक. धामनिधि.... विष्णाय ................" होस् - घुमणि. तरणी.......-- नरक...................७,४० नरपति नरलक्षण................... नव. नाग .............. नाग जिह्वा नागेन्द्र. तरुवर तर्क दिवस ....................... दिवाकर ...... दिवोकस ............... द्वत्रिशत्.... द्वादश..... धीगुण ................धति ......... ....... घूर्जटी........... धृतराष्ट्र पुत्र ............... १०० धृतराष्ट्र सुत ................ दिश............" नाडि.... द्वाविंशति.... दिशा ...............४, १०.८ दिशापति ......................१ नाय ....... नाभि ........ त्रिदश भूति.. Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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