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________________ पत्र दिनकर ..............." दिनकर ...... M जि.का 388 - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट . भंडार ग्रंथांक कर्ता पत्र ग्रंथन नाम भंडारा संबत् ग्रंथांक ग्रंधन नाम | कर्ता संवत् नाम संख्या नाम जि.का १९५१/६ चंदाविज्झयप्रकीर्णक, ...३३-४० लो.का ३५४ ० चंद्रलेखारास .................... रलवल्लभ ....................१८२५ .....१-२० चंद्रकुमारनी वार्ता ...... ... १८४८ जि.ता. १४६/८ . चंद्रवेध्यकप्रकीर्णक १०२-११५ लो.का ०३ चंद्रगुप्त के १६ स्वरूप्न.......... पूर्याचार्य लों का २५१/३ चंद्राकी आदि सारणिओ लो.का ५० चंद्रगुप्तस्वप्नस्वाध्याय ..........जयमल जि.का १८६६ चंद्रार्कीज्योतिष जि.ता. ३४६/- चंद्रदूतकाव्य........ चंद्र ....१३४३ १८-२० जि.का १८६७ चंद्रार्कीज्योतिष |१४४/६ चंद्रदूतकाव्य जि.का ११६७ चंद्राीपद्धति |३४७/५ . चंद्रदूतकाव्य सटीक ............. भू.क.जंबूनाग, टी.क.... ११५-१३२ ० चंद्रधवलकथा शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय ०चंद्रप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति ........ मलयगिरि आचार्य ........... १४८९ १६(१७३०त.का. 400/- चंद्रप्रज्ञप्ति. गणधर ................ ...१८२५) .का २९० चंद्रप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र ...... ७(१७१३-1 ० चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र .......... .........................१६२० १७२९) चंद्राकींटिप्पनिका ................. ८६ ०चंद्रप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति ......... मलयगिरि आचार्य ...........१९८३ १६५ चंपकचोपाई समयसुंदर .................. चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र ............. .................१४८९/१८०-२५६ जि.का चंपकमालाकथा ....... |जि.का ६७४ चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र ............. चंपकमालारास अपूर्ण........... सौभाग्यसागरसूरिशिष्य |जि.ता.३७ चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रवृत्ति ............... मलयगिरि आचार्य ...........१४८९ ..३३५ त.का. ३९६ चंपकरास .................... सोमविमलसूरि ............ जि.का ८०८/६ चंद्रप्रभजिनस्तोत्र पडभाषामय..... ........... ९-१० त.का. घउक्कषायसज्झाय .... चंद्रप्रभस्वामिचरित्र गाथाबद्ध .... यशोदेवसूरि प र ..............र.११७८ जि.का १४२५/२० चउक्कसाय दशपर्वात्मक ............ .ले.११७८ चउगति चौपई जि.ता. २५३ चंद्रप्रभस्वामिचरित्र पथ ........ देवेन्द्रसूरि ................१३०० २३९ त.का. १७६ चउगति वेल ......१६९५ जि.का ९४८ चंद्रप्रभस्वामिस्तोत्र पभाषामय ४ जि.का ६९८ चाउगतिचोपाई ............... वस्तिग सटीक ३१५ घउगतिवेल था.का. ३३८ चंद्रप्रभुस्तवन ........... हेमचंद्रशरि ..... |त.का. ९७६ चउद नियमनी सज्झाय ....... ई.का. १०५९ चंद्रप्रभस्तवन + प्रदेशीकेशीप्रश्न, घउपनमहापुरिसचरिय........... मानदेयसूरिशिष्य ............१२२७ चंद्रलेखा चौपाई .............. रत्नबल्लभ .............. शीलांकाचार्य चंद्रलेखाचरित्ररास अपूर्ण..... चउपनमहापुरिसचरिय ......१९८३/......१९६ जि.का १९९६ चंद्रलेखाचोपाई ............. मतिकुशल चउवीसदंडक सह टब्बार्थ गजसार डू.का. १३१५ चद्रलेखाचौपाई.................. हर्षमूर्ति मुनि चउशरण सह अवचूरि जि.ता. ३६१ ०|चंद्रलेखाविजयप्रकरणनाटक .....देवचंद्रमुनि हेमचंद्रशिष्य ....१३00 ....२०३ चउशरणपईना ........... बबबबब ३४/ ४० १८८ FGEEEEEE शीलाचा १५४७ www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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