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________________ कर्ता इं.का. जि.का १२२ जि.का १७४९ ल ३८२ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक | | ग्रंथनुं नाम संवत नाम र.का. १११ कल्याणमंदिर स्तोत्र ...... इ.का. ६०३ कल्याणमंदिर स्तोत्रटीका ....... ऋद्धिरत्न....... जि.का ८८२ कल्याणमंदिरभाषास्तोत्र ....... बनारसीदास ...... कल्याणमंदिरस्तोत्र......... सिद्धसेन दिवाकर जि.का १६३० कल्याणमंदिरस्तोत्र........... सिद्धसेन दिवाकर त.का. १९०१ कल्याणमंदिरस्तोत्र ......... त.का. १२१ कल्याणमंदिरस्तोत्र ....... जि.का ८७२ कल्याणमंदिरस्तोत्र वृत्तिसह .... सिद्धसेनाचार्य ............ जि.का २६० कल्याणमंदिरस्तोत्र सस्तवक... जि.का १६३१ कल्याणमंदिरस्तोत्र सस्तबक ... सिद्धसेन दिवाकर ........ अपूर्ण जि.का ११३० कल्याणमंदिरस्तोत्र सस्तबक.... सिद्धसेन दिवाकर ......... लों.का ५९२ कल्याणमंदिरस्तोत्र सह अवचूरि.. जि.का ७७६ कल्याणमंदिरस्तोत्र सावचूरि, जि.का १२४५/१ कल्याणमंदिरस्तोत्र सावचूरि.... था.का. ३७७ कल्याणमंदिरस्तोत्र ............... कुमुदचंद्र था.का.४०६ कल्याणमंदिरस्तोत्र .. कुमुदचंद्र ર૧૬ कल्याणमंदिरस्तोत्र.. कल्याणमंदिरस्तोत्र.. स.का. २०३ कल्याणमंदिरस्तोत्र............. कल्याणमी कल्याणमंदिर ...... त.का. ०१७ कल्याणमन्दिरस्तोत्र सह वृत्ति ... |१००० कल्याणमंदिर .......... ... हेमसागर, बनारसीदास ..... १७७६ त.का. २४४ कल्याणमंदिर सार्थ..............कुमुदचंद्र ....... था.का.२३१ कल्याणमंदिर स्तोत्र ..............कुमुदचंद्र ....................१६८५ आ.का. १५० कल्याणमंदिर स्तोत्रवृत्ति .......... देवतिलक सूरि ....... जि.का २१६०/१७ कल्याणमंदिरस्तोत्र त.का. ४११ कल्याणमंदिरस्तोत्र सह टबार्थ, महार| ग्रंथांक | ग्रंथनुं नाम संवत् ४८७ कल्याणमंदिरस्तोत्र सह वृत्ति .... सिद्धसेन दिवाकर ............१६५२ कल्याणमंदिर स्तोत्र टीकासह ... देवसुंदर उपाध्याय -टी. लों.का. १७३ कल्याणमंदिर.... जीवराज इं.का. ७०६ कल्याणमंदिर ........ सिद्धसेन दिवाकर ० कविकल्पद्रुम .... बोपवेव.. | जि.का १७४८ • कविकल्पद्रुम टिप्पणीसह ....... बोपदेव .... जि.का १७५० ० कविकल्पदुम धातुपाठ ...... जि.का १४२ कविकल्पलतावियेक ... जि.का १४१ कविकल्पलताविवेक द्वितीयखंड जि.का १०७९/२ ० कविगुह्यनामकाव्य .............. हलायुध जि.का १०३७/३ कवितसंग्रह .....................ज्ञानरत्न ..... त.का.८७२ कवित्तसंग्रह ........................ लों.का ४०४ कवितसंग्रह त्रूटक......................... जि.का ४२२ कविप्रिया ...................केशवकथि ................. .१७११ १-७|| जि.का ११११ कविप्रिया. | केशवदास ..................१८३२ .. ४ जि.ता. ३३७ कविरहस्य सटीक. मू.क.हलायुध, (कविगुह्यकाव्य अपरनाम ........ टी.क.रविधर्म ................१२१६ अपशब्दाभास कूटकाव्य सटीक) जि.का १४६ कविरहस्य-अपशब्दाभासकाव्य ... हलायुध -भू.. टी.क.रविधर्म . १९८४ |..... सटीक लो.का ३७६ कविदसत्तसई ...... ................. ..... जि.का २१८४ कविशिक्षा ............. जि.का १७७० कविशिक्षा काव्यकल्पता वृत्तिसह अमरचंद्रसूरि ............. जि.का २२०० ०कविशिक्षा काव्यकल्पलतावृत्तिसह अमरचंद्रसूरि स्योपज्ञ ............ जि.का १४० कविकल्पलतावियेक ............. ..............१९८४ आ.का ७८ ० कविशिक्षा सह वृत्ति ............. अमरचंद्र काव्यकल्पलता १०९ ........... आ.का २३६ कुमुदचंद्र 5555EWEDDI .१७६१ .......१७ ४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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