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________________ पन्न संवत् संस्ख्या ....६६ ५९० ३३६ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक - | भंडार ग्रंथनुं नाम कर्ता ग्रंथांक संवत् ग्रंथनुं नाम नाम कतो नाम संख्या जि.का १८०/५ ०आगमोद्धारगाथा ... जि.का १३४७ ०आचारांगसूत्र... |जि.का १३२६/६ ० आगमोद्धारगाथा-स्वप्नसप्ततिका ७५-८० डूं.का. ४५३ आचारांगसूत्र..... जि.का १३१७/३ ०आगमोद्धारगाथा ४२-४६ बूं.का./८२८ आचारांगसूत्र ................ विद्यासागर गणि.......... .....६१ | स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण था.का २६१ आचारांगसूत्र............. जि.ता. १५४/५ ० आगमोद्धारगाथा १२१० 1...४५-५१ आचारांगसूत्र ................ आगमसारोद्धार बालावबोध...... सत्यसागरगणि १८७१ आचारांगसूत्र................. ૨૮૮ आचार दिनकर ................. वर्धमानसूरि ... आचारांगसूत्र............. ७१ बूं.का. ८८१ आचारदिनकर ................. क्षमाप्रभ.... ..१८३२ आचारांगसूत्र..... २थी १९ आचारप्रदीप................... | रत्नेश्वरसूरि .......... आधारांगसूत्र द्वितीय श्रुतस्कंध. सुधर्मास्वामी ३३-१०२ आचारविधि (सामाचारी) ........ आचारांगसूत्र द्वितीयश्रुत स्कंध. सुधर्मास्वामी ...१-६८ त.का. १११ आचारांग ...................... | गणधर ...... आचारांगसूत्र प्रथम श्रुतस्कंध .. सुधर्मास्वामी ....१-३४ त.का. ११० आचारांग प्रथमश्रुतस्कंध टब्बार्थ पार्श्वचंद्रसूरि आचारांगसूत्र प्रथमश्रुतस्कंध .... सुधर्मास्वामी .....१-२९ लों.का ४ आवारांग मूल त्रूटक ........... सुधर्मास्वामी आचारांगसूत्र बालावबोध सटीक पार्चचंद्र उपाध्याय -टी. .....१-८९ था.का २९७ आचारांगनियुक्ति ...... आचारांगसूत्र बालावबोध पार्धचंद्र उपाध्याय-टी.. ... ४-१११ आ.का २८१ आचारांगनियुक्ति ...... सटीक त्रूटक डूं.का. १११६ आचारांगनियुक्ति लों .का ६ आचारांगसूत्र मूल अपूर्ण सुधर्मास्वामी. ......१-६१ जि.ता/१४७/१० ० आचारांगपर्याय.. त.का. १०९४ आचारांगसूत्र सह टब्बार्थ.. त.का. १०९ आचारांगवालायबोध ........ पार्धचंद्रसूरि १२१ त.का. आचारांगसूत्र सह बालावबोध ... कीर्तिकलश.............. था.का.२६२ आधारांगवृत्ति. .... २६५ जि.का. १२६० आचारांगसूत्रआलापक .......... था.का २६४ शीलांकाचार्य...... ...... २७४ बालावबोधसह पंचपाठ ३०१ आचारांगवृत्ति ... ..... २९| जि.का आचारांगसूत्रचूर्णी....... .................१४८८३(१९०९आधारांगवृत्ति शिलांगाचार्य ..... .....२३३ ...........१९९१) ता/१/ १ ० आचारांगसूत्र जि.का ३४०० आचारांगसूत्रदीपिका ............. जिनहंसारि .................१५७३ | १९०-३०१ २/१ आचारांगसूत्र.. जि.का ८९५ आधारांगसूत्रद्वितीय तस्कंध .. ३-१११ जि.का १ आचारांगसूत्र सुधर्मास्वामी ५-२७ बालावबोधसह पंचपाठ अपूर्ण आचारांगसूत्र सुधर्मास्वामी .. ......१५४३ ४८ जि.का २ आचारांगसूत्रनियुक्ति ..... भद्रबाहुस्वामी ....................४(२८-३१) जि.का १३४६ आचारांगसूत्र ७९ जि.का १३००/ ३० आचारांगसूत्रनियुक्ति ............ भद्रबाहुस्वामी ...१२७७... ४८-६५ जि.का १६७१ आचारांगसूत्र.............. सुधर्मास्वामी ......................... ३९|| जि.का १३४८ आचारांगसूत्रनियुक्ति ..... ---....१५३३/.......११ SFSCREEMEMEEME • १०८ .१७४ ....१-७१ ....१-७६ .का २३५ Jain Education International For Private &Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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