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________________ संबत पत्र संख्या | झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान | विशेष नोंध .... १८९१ .... १८५८ १९०७ १६५२ .......... तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर, जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथनु नाम कर्ता | भाषा ४७७...... चौवीसी........ मोहनविजय............... सम्यक्त्व ६७बोली सज्झाय सहटबार्थ... जशविजय ...... अठ्ठारहपापस्थानसज्झाय............ मनरूपविजय ...... चतुर्विंशतिवृत्ति............ धनपाल... जीवाजीवविचार स्तवन ... वृद्धिविजय. चतुर्विंशतिस्तुति सह वृत्ति ............... शोभनदेव आचार्य सप्तभंगीगर्मित महावीरस्तवन ......... शत्रुजयस्तवन ............ प्रश्नोत्तराणि ................ विष्णुसहस्रनाम ........ कल्याणमंदिरस्तोत्र सह वृत्ति .............. सिद्धसेन दिवाकर ४८८/A.. सरस्वतीछंद सह अष्टोत्तर नाम स्तोत्र मंत्रादि................ गौतम स्तोत्र............... ४८८/c परमेष्ठीरक्षा वजपंजर + पद्मावती स्तोत्र ... अन्योक्तिबावनी भैरवकवच अष्टोत्तरशत स्तोत्र मंत्रसहस्रनाम..... कल्याणमंदिरस्तोत्र सह टब्बार्थ... भक्तामरकी कथायें........ भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध .............मानतुंगसूरि भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध .............लब्धिशेखरगणि अजितशांतिस्तव सह टब्बार्थ ......... ४५६ ...... भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध .. मानतुंगसूरि.... चतुःशरण सह अवधूरि ............. योगशास्त्र सह वृत्ति ...................... हेमचंद्रसूरि ........ पंचवस्तुक सह वृत्ति .................. हरिभद्रसूरि ... ४८८/B.... : : १८६९ HTAम १७४६ १८७० १७८६ ૧૬ર ..४९९.३२४ Jain Education internatione For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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