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________________ २८२ | ग्रंथांक तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सीडी विशेष नोंध. कता पत्र संख्या प्रधान गर्गऋषि .. ग्रंथ नाम भाषा संवत मुहूर्तमुक्तावली .. उमेदविजय .... .......... १९०६ पट्टी पहाडे विवाहपटल ... १७७२ ज्योतिषसार १८०३ पाशाकेवली. १७९४ नन्दबहुत्तरी ૧૮૧ सामाधिकादिविधि क्षमाछत्तीसी. समयसुंदर कायाजीवसज्झाय ......... ऋषभमल्ल नवकार स्तवन ............ रविराज, पुण्यप्रकाश (आलोचनागर्भित) महावीरस्तवन ....... ............ विनयविजय .... श्रावक (आराधना)..... श्रावक (आराधना) ...... .................. सोमचंद्रसूरि ............ जीवविचारप्रकरण शांतिसूरी कर्मग्रन्थ षष्ठ (सत्तरि). चौवीसदंडकबोल धवलचंद्र कल्याणमंदिरस्तोत्र ........ कुमुदचंद्र .................. १७९५ सम्बोधसप्तति .. .............जयशेखरसूरि इन्द्रियपराजयशतक ....... ................. १६१८ गौतमपृच्छासार्थ ........................... क्षत्तकऋषिसम्बन्ध........................ .................. गौतमरास............................. विनयप्रभसूरि .... घड़ आरक स्त वन......................... हिरसूरि ....... ......... १८१८ बारह भावना ......................... विजयप्रभगणि... ....१७७३ मोतीकपासियासंवाद ................ श्रीसारमुनि...... चौबीसदंडकबोल .......... भक्तिविजय ............ .२०४-२६६............ शांतिसागर .... २०९ .... 100.. २११ ... २१२.... in Education International For Private & Personal Use Only www. brary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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