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________________ पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी.नं. विशेष नोंध X4 ..... १९४ + १९६ .......३१८ .....१९४+१९६ .......३१८ आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम १९२ -- भगवतीसूत्र सह टब्बार्थ . १९३ - तत्त्वार्थसारदीपक ....... १९४ - जगसिंह यशसिंहमहाकाव्य .. १९५ --प्रश्नोत्तरषष्ठिशतवृत्ति ..... १९६ - न्यायविवेक (अनुमान खंड) ... १९७१-सुसढचरित्र......... १९८ . अक्षयतृतीयाव्याख्यान.... १९९ .. श्रीपालचरित्र २०० ..-आराधना ................. २०१..पिंडविशुद्धिदीपिका .................... २०२ .. व्याकरणन्यायवृत्ति ................. २०३ .. शीलोपदेशमाला बालावबोध ................... २०४ ...भावप्रकरण व्याख्या २०५ ... श्रावकपाक्षिक अतिचार .................... २०६ ...सङ्ग्रहणी................................... ....श्रीचंद्रसूरि... २०७ ..-सुभाषित पद्य संग्रह ........... २०८ ..आवश्यकसूत्राणि सहबालावबोध .... ...वसूधारा........... प्रत्याख्यानादि विधियें ............... ...सौभाग्यपंचमीव्याख्यान ............... ...सारस्वतव्याकरण. १३ ... मौनएकादशीव्याख्यान ....... २१४ ... सिद्धान्तकौमुदीव्याख्या ......... २१५ ... चारित्रमनोरथमाला ..... २१६ ---कल्याणमंदिरस्तोत्र .............. प.प्रयांक ११० से ३१ तक की प्रतियाँ पागकाकी प्रतियों के अलावा अन्य जानकी जो अतिरिक्त प्रतियों हमें मिली उन पुराने आचार्य 24mM के सूचिपत्रके अंतिम यांक १५ो आगे नये क्रमांक देकर आचार्यगमनभखार के साथ रखी है। Jain Education International For Private &Personal use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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