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________________ लोकागछ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सीडी प्रधान विशेष नोंध भाषा संवत ..........१९११ पत्र संख्या | ...........१-८ । ........... १८३८ २४२ ग्रंथांक ग्रंथन नाम सारस्वतव्याकरण सूत्राणि सस्तबक ............. मन्वन्तरदेवीमहात्म्य . रंभामंजरीनाटिका त्रूटक ....... नयचंद्र. कातंत्र५डिकावृत्ति त्रूटक ............ गोल्हण ....... मेघदूत कालिदास.. सारस्वतव्याकरण त्रूटक ........ अनुभूति स्वरूपाचार्य.. महावीरचरित्र + पार्श्वनाथचरित्र त्रूटक आराधना और प्रकीर्ण त्रूटक. उत्तराध्ययनसूत्र सह कथाओ बेटक .. नेमिनाथगीत और प्रकीर्णकगीत ......... आनंदघन . २९९ ..... साधुवंदना................ नवतत्त्वप्रकरण............. - सिद्धचक्रजीरा गुण ........................ बोलथोकडा भंगसंग्रह ..................... ३०३..... दशवैकालिकसूत्र त्रूटक .................. शय्यंभवाचार्य .. दशवैकालिकसूत्र सटीक त्रूटक .......... शय्यंभवाचार्य... गौतमपृच्छासार्थ आवश्यकसूत्राणि सह टम्वार्थ जीवाजीवविचार नवतत्त्व + जीवविचार सह टवार्थ ................ अंजनासुंदरीचीपई बेटक चउसरण सह टब्बार्थ ........ साधुवंदना. पुण्यसागर बोलथोकडाभंगसंग्रह .. -नवतत्त्व सह टब्बार्थ महेरचंद्र -श्रावकपाक्षिकातिचार ..... ३१५....-कामना ..-रुक्मिणी-विवाह .......... ३१६ ....- हमधातुपाठ (व्याकरण)................. ३०२.... ३०४.... ...१३ मुं पार्नु नथी १८४८ ૧૮૬ ૧૭૫ 3१४ ............२६७..६५१ ..३२०...... Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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