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________________ . १६०० .१३३ लोंकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम कर्ता भाषा संवत् पत्र संख्या ___ झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान . विशेष नोंध आचारांगसूत्र प्रथम श्रुतस्कंध.. सुधर्मास्वामी .........१-३४ आचारांगसूत्र द्वितीयश्रुत स्कंध.......... सुधर्मास्वामी १-६८ आचारांगसूत्र प्रथम श्रुत स्कंध .......... सुधर्मास्वामी १-२९ ............प्रथम पत्र नथी आचारांग मूल त्रूटक .............. सुधर्मास्वामी आचारांगसूत्र तथा मूल अपूर्ण Jटक .....सुधर्मास्यामी ...२२-६२ ........... ...............५४४ आचारांगसूत्र मूल अपूर्ण .................. सुधर्मास्यामी १-६१ ७........ आचारांगसूत्र द्वितीय श्रुतस्कंध ............ सुधर्मास्वामी ...३३-१०२ ..आचारांगसूत्र बालावबोध सटीक .........टी. पाचचंद्र उपाध्याय .१.८९ ...........८...३१९....... आधारांगसूत्र बालावबोध सटीक त्रूटक ....टी. पार्श्वचंद्र उपाध्याय .......४-१११ ....पत्र १थी ३ नथी. ' १०...... सूत्रकृतांगसूत्र मूल ........................ सुधर्मास्वामी ......... ........श्लो . २१००/सूत्रकृतांगसूत्र मूल ........................सुधर्मास्वामी .............मा. ............ श्लो. २१००/सूत्रकृतांगसूत्र दि.श्रुतस्कंध ............... सुधर्मास्यामी .......... .....३४-८५ सूत्रकृतांगसूत्र मूल त्रूटक.................सुधर्मास्यामी .... १-६२ सूत्रकृतांगसूत्र प्र.श्रुतस्कंध सह बालावबोध ....टी.पार्चचंद्र उ. .......... ... १.६५ ...१४+ १५...३१९ सूत्रकृतांगसूत्र प्रथम-द्वितीय श्रुतस्कंध ....टी.पार्धचंद्र उ........... १-६१, १-६३ ..........१४+१५...३१९ सूत्रकृतांगसूत्र प्रथम श्रुतस्कंध ........ सह बालावबोध सूत्रकृतांगसूत्र श्रुतस्कंध सह बालाव० .. ...............२-१८ टक.......... १८ ...... सूत्रकृतांगसूत्र मूल सह बालावबोध ...... टी.पार्श्वचंद्र उ. स्थानांगसूत्र मूल .....-सुधर्मास्वामी . १६६३ .........९-१५१ इलो. ३६००.१ थी ८ पाना नथी २०...... स्थानांगसूत्र मूल ..........................सुधर्मास्वामी .......१-१६८. लो. ३६०० २१...... स्थानांगसूत्र मूल ..................... -सुधर्मास्वामी .......११३०-- श्लो. ३६०० २२...... समवायांगसूत्र मूल ................ -सुधर्मास्वामी ....... १६६५ ..........१-४९--- श्लो. १६६०/२३ ...... समवायांगसूत्र मूल ................. सुधर्मास्वामी ...... १८७३..........१-६६.. ..... श्लो. १६६७ २४ ...... भगवतीसूत्र सह शब्दार्थ सुधर्मास्वामी ............१६११........१-७०७ ..लो.१५७५० २५...... भगवतीसूत्र सह शब्दार्थ .. सुधर्मास्वामी ................१-५४८ .....लो.१५७५० FFFFFFFFFFFFFFFFFF १९.....- मा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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